अमृतसर में आयोजित 7वें हार्ट
ऑफ एशिया सम्मेलन कई मायने में अहम रहा अफगानिस्तान के पुनर्गठन,सुरक्षा व आर्थिक
विकास के साथ –साथ आतंकवाद तथा नशीले
पदार्थों की तस्करी रोकने जैसे गंभीर विषय चर्चा के केंद्र में रहे सम्मेलन के
एजेंडे में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख था.जाहिर है कि जिस मंच पर पाकिस्तान के
प्रतिनिधि मौजूद हों और बात आतंकवाद को उखाड़ फेकने की हो वहां पाक प्रतिनिधि का
असहज होना स्वाभाविक है.भारत के प्रधानमंत्री और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने
आतंकवाद के मसले को पाक को कटघरे में खड़ा किया तो वहीँ इस सम्मेलन में संयुक्त रूप
से आतंकवाद के खिलाफ तैयार घोषणा पत्र में लश्करे-ए- तैयबा और जैश –ए –मोहम्मद
समेत कई आतंकी संगठनों को रेखांकित किया गया है.यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता
है जाहिर है कि ये आतंकी संगठन पाकिस्तान द्वारा पोषक हैं तथा पाकिस्तान इनके
सहयोग से भारत के साथ –साथ अफगानिस्तान में अशांति और हिंसा के लिए इनका इस्तेमाल
करता रहता है. एक बात जगजाहिर है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और उसका
इस्तेमाल भारत ,अफगानिस्तान जैसे देश में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए करता
है.भारत पाकिस्तान को हर वैश्विक मंच से अलग –थलग करने में कुटनीतिक कामयाबी तो
हासिल कर ले रहा है लेकिन आतंकवाद के मसले पर घुसपैठ के मसले पर पाकिस्तान का
अड़ियल रवैये में जरा भी परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है.हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन
में भी पाकिस्तान ब्रिक्स और दक्षेश की तरह अलग –थलग पड़ गया और उसके प्रतिनिधि
सरताज अजीज बचाव करते रह गये.बहरहाल,पाकिस्तान को हर मंच पर घेरने की रणनीति तो सही
है भारत इसमें सफल भी दिख रहा है लेकिन सवाल यह खड़ा होता है क्या इससे आतंकवाद और
घुसपैठ में रोकने में भारत को कामयाबी मिल रही है या नही ? इस सवाल की तह में जाएँ
तो दो बातें स्पष्ट होती हैं.पाक को हर मंच से अलग –थलग करने की भारत की रणनीति के
चलते पाकिस्तान अब बैकफूट पर आ गया है तथा
हर मंच से पाकिस्तान खुद का बचाव करने में ही अपनी भलाई समझ रहा है.आतंक को पनाह
देने की बात भारत ने हर मंच से उठाई है और इसके पुख्ते सुबूत भी वैश्विक मंचो पर
रखा है जिससे पाकिस्तान की फजीहत हर वैश्विक मंच पर हो रही है.दूसरी बात पर गौर
करें तो यह भारत के दृष्टिकोण के कतई सही नहीं है भारत की नीति स्पष्ट है आतंक का
खात्मा व सीमा पर शांति लेकिन पाकिस्तान इसके विपरीत काम कर रहा है यही कारण है कि
भारतपाक को हर मंच से धुल चटा रहा है.आतंकवाद पाकिस्तान की कमजोड कड़ी है खुद
पाकिस्तान भी आतंकवाद से पीड़ित है बावजूद इसके पाकिस्तान के रुख में कोई परिवर्तन
देखने को नहीं मिल रहा है.उड़ी हमले व सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकी गतिविधियों
और घुसपैठ के मामले बढ़े है.आतंकवाद की इस
लड़ाई में भारत के साथ अन्य देश जो भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहें है
उनसब को भी यह मुल्यांकन करने की आवश्यकता है कि इस लड़ाई में अभीतक कितने सफल हुए
हैं ? कहीं यह लड़ाई महज फाइलों तक तो नहीं सिमट रही ? हर वैश्विक मंच से भारत
आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेकने की बात कर रहा है अमेरिका समेत कई राष्ट्र्मित्र देश
इसका समर्थन तो कर रहें है लेकिन कार्यवाही करने में पीछे है.आतंकवाद पर बात तो
समूचा विश्व कर रहा है लेकिन आतंक पर प्रहार कितने देश कर रहे हैं इस बात पर भी
गौर करना चाहिए.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में संकेतों के जरिये पाक को खूब खरी –खोटी
सुनाई हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते महुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीमा
पार चल रहे आतंक की पहचान करनी होगी और
इससे मिलकर लड़ना होगा आतंकवाद से अफगानिस्तान की शांति को खतरा है प्रधानमंत्री ने
सिर्फ आतंकवादियों की नहीं बल्कि आतंकवाद को आर्थिक मदद देने वालों के खिलाफ की
कड़ी कार्यवाही करनी की बात कहीं वहीँ दूसरी तरफ अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ
गनी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को जम के लताड़ा उन्होंने पाकिस्तान को सीधे
तौर पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान की मदद के बगैर तालिबान उसकी धरती पर एक
दिन भी नहीं टिक सकता.मौके का फायदा उठाते हुए गनी ने यह भी कहा कि तालिबान के
स्वीकार किया है कि उसे पाकिस्तान का सपोर्ट मिल रहा है गौरतलब है कि अफगानिस्तान
में पिछले साल हिंसा और आतंकी हमलों से सबसे ज्यादा मौतें हुई है अफगानिस्तान की
पीड़ा जायज भी है.पिछले दो सालों में तालिबान के हमलों से अफगानिस्तान के लोगों का जीना मुहाल कर रखा है.
अफगान आर्मी तालिबान लड़ाकों के आगे कमजोर दिखाई दे रही है किन्तु बड़ी बिडम्बना है
कि अफगानिस्तान में स्थिरता और इसके पुर्निर्माण के मकसद से हुए इस सम्मेलन में पाकिस्तान को भी शामिल किया गया है जो
अफगानिस्तान में हिंसा और आतंक को फ़ैलाने के लिए जिम्मेदार है.गनी में इन सब को
ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान पर जमकर प्रहार किया वहीँ पाकिस्तान से 50 करोड़ डॉलर
अफगानिस्तान के पुनर्निमाण के लिए देने की बात कही है ;लेकिन अफगान के राष्ट्रपति
ने इसे यह कहते हुए इंकार कर दिया कि बेहतर होगा कि इन पैसों का इस्तेमाल
पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने के लिए करे.अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के
गालों पर करार तमाचा जड़ा है वहीँ भारत भी पाकिस्तान को लेकर अपने कड़े रुख पर कायम
है.इन सब के बावजूद पाकिस्तान के रुख में कोई बदलाव देखने को मिलेगा ऐसा नही लगता.
लेकिन पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति भी तभी सफल होगी
जब पाकिस्तान आतंकवाद और घुसपैठ जैसी हरकतों से बाज़ आ जायेगा.
भारत माता की जय के नारे लगाना गर्व की बात -: अपने घृणित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी इनदिनों फिर से चर्चा में हैं.बहुसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए ओवैसी बंधु आए दिन घटिया बयान देते रहतें है.लेकिन इस बार तो ओवैसी ने सारी हदें पार कर दी.दरअसल एक सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि हमारे संविधान में कहीं नहीं लिखा की भारत माता की जय बोलना जरूरी है,चाहें तो मेरे गले पर चाकू लगा दीजिये,पर मै भारत माता की जय नही बोलूँगा.ऐसे शर्मनाक बयानों की जितनी निंदा की जाए कम है .इसप्रकार के बयानों से ने केवल देश की एकता व अखंडता को चोट पहुँचती है बल्कि देश की आज़ादी के लिए अपने होंठों पर भारत माँ की जय बोलते हुए शहीद हुए उन सभी शूरवीरों का भी अपमान है,भारत माता की जय कहना अपने आप में गर्व की बात है.इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि अपने सियासी हितो की पूर्ति के लिए इस हद तक गिर जाएँ कि देशभक्ति की परिभाषा अपने अनुसार तय करने लगें.इस पुरे मसले पर गौर करें तो कुछ दिनों पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भाग
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