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Showing posts from 2015

संसद सत्र : नकारात्मक विपक्ष

  नकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस. लोकतंत्र में मंदिर संसद में जो हो रहा है उसे देख हमारे मन में कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं.जिसका जवाब मिलना बहुत मुश्किल है.शीतकालीन सत्र भी मानसून सत्र की तरह हंगामे की भेंट चढ़ गया. लोकतांत्रिक धर्म के विरुद्ध, अपने शपथ को ताख पर रख कर हमारे राजनेता इन दिनों संसद में जो कर रहे हैं.वो देश के लोकतंत्र के लिए कुठाराघात से कम नहीं है.लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुन कर संसद में पहुंचे इन सांसदों का आचरण देश के लोकतंत्र को शर्मशार कर रहा है. संसद विकास के द्वार खोलती है और विकास तभी संभव है,जब इसका दरवाज़ा खुलेगा, इसके अंदर विकास को लेकर, देश की जनमानस को लेकर चिंतन होगा.परन्तु मौजूदा वक्त में इन बातों का कोई औचित्य नहीं रह गया है.जनता मूकदर्शक बने इस तमासे को कब-तक देखती रहेंगी ? इस सवाल का जवाब भी मिलना कठिन है.आज विपक्षी दल सदन में जो कर रहे हैं वो हमारे लोकतंत्र की गरिमा के विपरीत है.सत्र के शुरुआत में ही सरकार ने विपक्ष को विश्वास में लेने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.हम ये भी कह सकते हैं कि सत्ताधारी दल इस बार नरम है तथा काम

जश्न-ए- भ्रष्टाचार

        जश्न-ए- भ्रष्टाचार सोनिया और राहुल को बेल मिल गई.कांग्रेसियों के जश्न को   देखकर   लग रहा कि सोनिया और राहुल को नोबेल मिल गया है.अगर नो –बेल मिलता तो स्थिति कुछ और होती.आज-तक आपने जन्मदिन का जश्न, शादी का जश्न और तमाम प्रकार के जश्न का नाम सुना होगा लेकिन कल एक नएं जश्न का जन्म हुआ.बताते है.कांग्रेस जश्न मना रही है मगर किसका ? मैंने एक कांग्रेसी मित्र से पूछा, दोस्त ये अचानक जश्न क्यों मना रहें हो. उसने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष और हमारे युवराज़ को हेराल्ड पर जमानत मिल गई है. मुझे अजीब लगा कि जमानत तो सबको मिल जाती है इस पर जश्न कैसा !जब अदालत ने फिर निमंत्रण दिया ही है,और मुद्दा भी भ्रष्टाचार का है.हमने भी बोल दिया मित्रवर ये जश्न भ्रष्टाचार का तो जश्न नही है फिर क्या था. चिढ बैठे हमारे ऊपर,फिर आगे की रणनीति पर बात होने लगी.उन्होंने कहा कि जैसा अध्यक्ष जी ने कहा है कि हम लड़ेंगे, डरेंगे नही.पूरी कांग्रेस सोनिया –राहुल के साथ खड़ी है. अब देखिये न अजीबोगरीब स्थिति है भ्रष्टाचार इन दोनों ने किया है लेकिन कांग्रेस में किसी को ये कहना उचित नही लग रहा कि “जैसी करनी वैस

पाकिस्तान को लेकर अपना रुख स्पष्ट करें मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पैरिस में हुई एक अनौपचारिक मुलाकात को लेकर अभी बहस चल ही रही थी कि इसी बीच रविवार को भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में मुलाकात किया.लगभग चार घंटें तक चली इस बैठक में आतंकवाद और जम्मू –कश्मीर सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई.भारत के एनएसए अजीत डोभाल और पाकिस्तान के एनएसए नसीर खान जंजुआ की मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त साझा बयान जारी किया गया.जिसके मुताबिक चर्चा सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई साथ ही रचनात्मक सम्पर्क को आगे बढ़ाने पर भी सहमती बनी.इस बैठक को संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने सराहा है.लेकिन भारत में इस वार्ता की कड़ी आलोचना हो रही है. .कांग्रेस ने इस बैठक को देश के साथ धोखा करार दिया है तो वही एनडीए में  शमिल शिवसेना और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यसवंत सिन्हा ने भी इस मुलाकात पर सवाल उठाएं है.बहरहाल,आखिर पाकिस्तान से भारत सरकार को बातचीत की आवश्यकता क्यों पड़ी.ये समझ से परे है.अगर पाकिस्तान कुछ आतंक विरोधी कदम उठाये होतें या फिर सीजफायर

प्रतिभा पर आरक्षण भारी ( सामना, दैनिक जागरण,नेशनल दुनिया में प्रकाशित )

     आदर्श तिवारी - आरक्षण पर बहस अभी चल ही रही थी कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश ने इसे और आगे बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने दुःख जताते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं से सभी प्रकार के आरक्षणों को समाप्त कर देना चाहिएं.कोर्ट ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेज को लेकर योग्यता मानको को चुनौती देने के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई  के दौरान ये बातें कहीं .सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ये याद दिलाया कि देश को आज़ाद हुए 68 वर्ष हो गए,लेकिन वंचितों के लिए जो सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई थी,उनमें कोई बदलाव नहीं हुआ हैं.इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रहित को ध्यान में रखतें हुए इस संदर्भ में उपयुक्त कदम उठाने की बात कही है. न्यायधीश दीपक मिश्रा और न्यायधीश पीसी पंत की बेंच ने कहा कि सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेज़ में चयन का प्रारम्भिक मापदंड मेरिट ही होनी चाहिएं. उनके मुताबिक मेरिट बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कई बार स्मरण दिलाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.कोर्ट ने आगे कहा कि मेरिट पर आरक्षण का आधिपत्य रहता है,अब समय आ ग

दलहन पर आत्मनिर्भर बनें भारत

                         एक कहावत है कि दाल –रोटी से ही गुज़ारा हो रहा है . लेकिन अब ये कहावत  कहने में भी लोग डरने लगें हैं , दालों के दाम आसमान छू रहे है.खास कर तुवर जिसे हम अरहर की दाल भी कहतें है.गत एक वर्षो में अरहर की दाल की कीमतों में बेतहासा वृद्धि हुई है.पिछले साल अरहर   के दाल की कीमत महज 70 रूपये किलों थी.लेकिन अब इसके दाम दोगुने से भी अधिक हो गए है.आज अरहर की दाल 200 रूपये के करीब पहुंच गई है.जिसके कारण गरीब और माध्यम वर्ग परिवार की थालियों से दाल गायब होती जा रही है.दाल आवश्यक प्रोटीन उपलब्ध करती है,जाहिर है कि आम जनमानस दाल का इस्तेमाल संतुलित आहार के लिए करता है.अन्य दालों की अपेक्षा अरहर की दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है.इसके महंगे होने से न केवल थाली से दाल गायब है.वरन हम ये कह सकतें है कि आज गरीब तथा माध्यम वर्ग की थाली से पोषण गायब हो रहा है.इस साल बेमौसम बारिश और मानसून में आई कमी के कारण किसानों के फसल बर्बाद हो गए है.मौसम विभाग ने पहले ही इस बात की पुष्टि कर दिया था कि फसल के बर्बाद होने से खास कर दलहन और सब्जियों के उत्पाद में भारी कमी आएगी.गौरतलब है कि

लोकतांत्रिक स्तंभों में टकराव

   सुप्रीम कोर्ट नेशुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय न्यायिक न्युक्ति आयोग को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है तथा इससे संबंधित अधिनियम को भी रदद् कर दिया.केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की न्युक्ति और तबादले के लिए राष्ट्रीय न्यायिक न्युक्ति आयोग एक्ट का गठन किया था.जिसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज,केंद्रीय कानून मंत्री तथा दो हस्तियों को शामिल किया गया था,लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इसे संविधान की अवधारणा के खिलाफ बताते हुए खारिज़ कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस संशोधन  से संविधान के मूल ढांचे का उलंघन होता,इसके साथ ही उच्चतम न्यायलय ने एनजेएसी को लाने के लिए 99वें संशोधन को भी निरस्त कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि, जजों की न्युक्ति पुराने काँलेजियम प्रणाली के तहत ही होगी.हलाँकि कोर्ट के इस फैसले से सरकार को करारा झटका लगा है,टेलिकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस फैसले को संसदीय संप्रभुता के लिए झटका करार दिया है.गौरतलब है कि संविधान समीक्षा आयोग,प्रशासनिक सुधार आयोग और संसदीय

कश्मीर पर बेनक़ाब होता पाकिस्तान

संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत ने पाकिस्तान को एक मर्तबा फिर करारा जवाब दिया है.विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करतें हुए पाकिस्तान को कड़े शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि वार्ता और आतंकवाद दोनों एक साथ नहीं चल सकतें.जाहिर है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर का मसला उठाया था तथा भारत से बातचीत बहाल करने के लिए चार सूत्रीय प्रस्ताव रखा था.भारत ने इन सभी प्रस्ताओं को ठुकरा दिया.भारत, पाकिस्तान के दोहरे चरित्र से अब तंग आ चुका है.संयुक्त राष्ट्र सभा में कश्मीर राग अलापने वालें पाकिस्तान को भारत ने उसी की भाषा में जवाब दिया है.नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र को भ्रमित करतें हुए एनएसए स्तर की वार्ता विफल होनें के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन हकीकत पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान,आधिकारिक वार्ता से पहलें हुर्रियत नेताओं से बातचीत करना चाहता था.फलस्वरूप भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करते हुए वार्ता को रदद् कर दिया था.भारत द्वारा उस वार्ता को रदद् करते हुए स्पष्ट संकेत दिया था कि भारत

डिजिटल इंडिया को लेकर सरकार गंभीर

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी महत्वकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए सिलिकाँन वैली में तकनीक क्षेत्र की सभी दिग्गज कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की . प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया के उद्दश्यों व लक्ष्यों के बारें इन सभी को बताया.तकनीक जगत सभी शीर्षस्थ कंपनियां मसलन गूगल,माइक्रोसॉफ्ट तथा एप्पल के सीईओ ने भारत सरकार की इस योजना का स्वागत करते हुए, भारत में निवेश को लेकर अपने –अपने प्लानों के दुनिया के सामने रखतें हुए भारत को भविष्य की महाशक्ति बताया है. इन सभी कंपनियों को बखूबी मालूम है कि भारत आज सभी क्षेत्रों  नए- नए आयाम गढ़ रहा है. इसको ध्यान में रखतें हुए गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने भारत के 500 रेलवे स्टेशनों को वाई -फाई से लैस करवाने के साथ 8 भारतीय भाषाओं में इंटरनेट की सुविधा देने की घोषणा की तो वहीँ माइक्रोसॉफ्ट ने भी भारत में जल्द ही पांच लाख गावों को कम लागत में ब्रोडबैंड तकनीकी पहुँचाने की बात कही है.इस प्रकार सभी कंपनियों के सीईओ ने भारत को डिजिटल बनाने के लिए हर संभव मदद के साथ इस अभियान के लिए प्रधानमंत्री मोदी से कंधा से कंधा मिलाकर चलने की

प्रबंधन की कमी से हुआ हादसा

         अभी कुछ ही दिन पहले की बात है जब सऊदी अरब के मक्का में क्रेन गिरने से हुए हादसें के दौरान 107 लोग काल के गाल में समा गयें थे. अभी ये जख्म भरा भी नहीं था कि फिर से गुरुवार को वहां से बुरी खबर  आई.बकरीद के साथ ही हज की अंतिम रस्म जिसमें मीना,मुज़दलफा और मैंदान-ए अराफात से लौटने के बाद जमेरात में शैतान को पत्थर मारनें की परंपरा है.उसी वक्त मीना के पास भगदड़ मचने के कारण 700 से अधिक लोग मौत की नींद सो गयें और लगभग 800 से अधिक लोग घायल हो गयें. इस घटना का कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नही हुआ है. लेकिन कुछ बातें निकल कर सामने आ रहीं है.मसलन जिस रास्तें से पत्थर मारने के लिए श्रद्धालु जातें है, उसके बाद दूसरे गेट से बाहर निकलतें हैं लेकिन यहाँ लोग उसी रास्तें से वापस भी आने लगें जिससे भीड़ अनियंत्रित हो गई. लोग एक दूसरे के ऊपर गिरने लगें और चंद मिनट में ही लाशों के ढेर बिछ गयें.इस हादसें ने सभी देशों के जनमानस को झकझोर कर रख दिया.सभी देश इस घटना के बारे में सुनकर अपने दुःख और पीड़ा को व्यक्त कियें बगैर नहीं रह पाएं.जिसको जब खबर मिली टीवी तथा रेडियो से चिपक गया.इस घटना ने कई देश को हिल

नेपाल की धर्मनिरपेक्षता पर सवालियाँ निशान

       विश्व का एक मात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल अब धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य  हो गया है.तकरीबन सात साल के जद्दोजहद के बाद नेपाल में भी राजतंत्र के  पतन के बाद गणतंत्र का उदय हुआ है.239 साल पुराना राजवंश 2008 में खत्म कर दिया गया था.तब से ही नेपाल को इस दिन का बेसब्री से इंतजार था.नए संविधान की घोषणा होते हुए जिस प्रकार से हिंसा का माहौल समूचे नेपाल में देखा जा रहा है यह चिंताजनक है.कहीं ख़ुशी से पटाखें छोड़े जा रहें,लोग सड़को पर हाथ में राष्ट्रीय झंडा लिए अपने इस गणतंत्र के लागू होने का जश्न मना रहें .अगर हम नेपाल के नए संविधान को देखे तो उन सभी कानून ,नियम कायदे है जो किसी गणतंत्र राज्य के लिए होने चाहिए.नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव ने नए संविधान लागू होने की घोषणा की.इस संविधान का सकारात्मक पक्ष पर गौर करें तो एक दो बातें सामने आती है मसलन नेपाल का गणतंत्र संस्थागत हुआ है संघीय ढांचे को भी मूर्त रूप दिया गया है.नेपाल के संविधान को ज्यादा विस्तृत न करते हुए संविधान सभा ने संविधान को छोटा रखना  ही सही समझा है.संविधान सभा ने नेपाल के संविधान को 37 खंड,304 आर्टिकल व 7 अनुसूचिया

कांग्रेस में बड़े बदलाव की जरूरत

    भारतीय राजनीति में सबसे पुरानी और सबसे अनुभवी पार्टी कांग्रेस आज सबसे बुरी हालत में है,विगत लोकसभा चुनाव के बाद इस विरासत का पतन निरंतर देखने को मिल रहा है,पार्टी को एक के बाद एक चुनावों में मुंह की खानी पड़ रही है, फिर भी अभी तक कांग्रेस अध्यक्षा ने पार्टी में कोई बड़ा अमूलचूल बदलाव नहीं किया है और न ही इसके संकेत अभी तक दिए हैं.130 वर्ष पुरानी पार्टी जिसने आज़ादी के आन्दोलन से लेकर देश के सतत विकास में प्रमुख भूमिका निभाई .आज वही पार्टी हर चुनावों में सबसे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन कर रही है. हाल ही में हुए मध्यप्रदेश और राजस्थान नगर निकाय चुनाव में फिर सत्ताधारी दल बीजेपी को भरी बढ़त देखने को मिली तथा कांग्रेस को फिर एक मर्तबा करारी शिकस्त झेलनी पड़ी,ये बात दीगर है कि नगर निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों अलग –अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है और जनता भी दोनों चुनावों को भिन्न –भिन्न नजरिये से देखती है.बीजेपी के लिए इस जीत के मायने भले ही कम हो लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि कांग्रेस के लिए ये एक बड़ी हार है क्योंकि ये उन्हीं राज्यों की जनता का मत है जिस राज्य में व्यापमं और ललित गेट हु