बैंक डिफाल्टरों का मुद्दा समय –समय संसद से सड़क तक चर्चा का विषय बना रहता है.चुकी बैंको पर एनपीए का बढ़ता दबाव देश की आर्थिक स्थिति को दीमक की तरह चाट रहा है बावजूद इसके हमारे बैंक खुद के पैसे वसूलने में असहाय दिख रहें है. सर्वोच्च न्यायालय भी इस विकराल समस्या पर अपनी नजर गढाये हुए है. न्यायपालिका लोन डिफाल्टर में मामले पर कई दफा सरकार आरबीआई समेत कई बैंको को आड़े हाथों लेता रहा है.वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि डिफाल्टरों के नाम खुलासा अब कोई बड़ा मसला नहीं रह गया है.जाहिर है कि सुप्रीमकोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई के दौरान आरबीआई और सरकार से पूछा था कि क्यों न 500 करोड़ के अधिक बैंक डिफाल्टरों के नाम सार्वजनिक कर दिए जाएँ.लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर और सख्ती दिखाते हुए सरकार और आरबीआई को इस मामले का निवारण ढूंढने को कहा है.कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि डिफाल्टरों से कर्ज वसूली के लिए क्या प्लान है ?माननीय कोर्ट से सरकार से यह भी पूछा है कि सरकार ने अभी तक इसके लिए क्या –क्या कदम उठायें हैं ? कोर्ट ने केंद्र सरकार ने तीन सप्ता
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