मोदी का काट ढूढे बगैर कांग्रेस का उद्धार नहीं कांग्रेस आज अपनी विफलताओं से इस कद्र घिर गई है भाजपा अब इनके राजघरानो के नेताओं में सेंध लगाने की कोशिस कर रही है, ये स्थिति आई क्यों !क्या कांग्रेस इसपर मंथन करेगी !दरअसल, लोकसभा चुनाव से निरंतर कांग्रेस अपनी लोकप्रियता खो रही है. असल मायने कांग्रेस की लोकप्रियता पिछले साल दिसम्बर माह में हुए विधानसभा चुनाव से ही गिर रही है.उसके बाद लोकसभा चुनाव से कांग्रेस को अभी तक के चुनावों में लगातार मुह की खानी पड़ रही है.इसका एक बड़ा कारण है कि कांग्रेस कभी ईमानदारी से आत्ममंथन नहीं करती.अभी तक कांग्रेस हार के बाद कमेटी तो गठित करती है,लेकिन इसका निर्णय हमेसा की तरह बेईमानी वाला होता है. न की ईमानदारी व निष्पक्,.कांग्रेस के आला नेताओं को अब ये बात समझनी चाहिए कि अगर पार्टी को फिर सफलता के रस्ते पर लाना है.तो उसे हर एक कड़ा फैसला लेना होगा,हर परिवर्तन करना होगा जो पार्टी के हित में हो.कांग्रेस शुरू से गांधी -नेहरु परिवारवाद से ग्रस्त रही है.अब समय आ गया है जब पार्टी परिवारवाद से मुक्त कर दिया जाए और कांग्रेस के और किसी आला नेता को पार्टी की