माखनलाल चतुर्वेदी जिनके गौरक्षा आंदोलन के आगे अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े थे,आज माखनलाल विश्वविद्यालय में गौशाला खुलने पर इतना विरोध क्यों ?
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विशनखेड़ी में बनने वाले नए परिसर में गौशाला खुलने का प्रस्ताव जैसे ही सामने आया.कांग्रेस ,माकपा सहित एक विशेष समूह ने इस फैसले पर बेजा विरोध शुरू कर दिया है.मीडिया ने भी इस मसले को पूरी तरजीह दी है लेकिन, कुछेक बड़े समाचार चैनलों और अख़बारों ने तथ्यों के साथ न केवल छेडछाड़ किया है बल्कि समूचे प्रकरण को अलग रंग देने की कोशिश भी की है .इस विवाद की पृष्ठभूमि पर नज़र डालें तो यह विवाद तब तूल पकड़ा जब संस्थान के नए परिसर में बची भूमि पर गौशाला खोलने के लिए विज्ञापन दिया गया .जिसमें गौशाला चलाने वाली संस्थाओं को आमंत्रित किया गया है.विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कहना है कि नए परिसर में बची पांच एकड़ जमीन में से दो एकड़ में गौशाला खोलने की योजना है तथा गौशाला के लिए विश्वविद्यालय अपना धन व्यय नहीं करेगा बल्कि इसे आउटसोर्सिंग के जरिये चलाया जायेगा.खैर,इस मामले को लेकर जबरन विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है.माखनलाल ऐसा पहला विश्वविद्यालय नहीं है जिसमें गौशाला खोलने का फैसला लिया गया हो देश के कई संस्थानों में पहले