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Showing posts from July, 2015

फांसी को धार्मिकता का रंग न दे ओवैसी

सर्वोच्च न्यायालय ने याकूब मेमन को मिली मौत की सज़ा को बरकरार रखा है, लेकिन अब भी वो इस सज़ा से बचने के लिए प्रयासरत है, हालांकि लगभग तय है कि इसकी सज़ा बरकरार रहेगी, इसके बाद कई तथाकथित सेकुलर ऐसे प्रलाप कर रहे मानों पहली बार भारत में फांसी दी जा रही हो.भारत में सेकुलरिज्म की आड़ में छुपा सम्प्रदायिकता का वीभत्स चेहरा एक – एक कर सामनें आ रहा है. कुछ राजनेता हमारे बीच है जो इस फैसले को अपरोक्ष रूप से धार्मिकता के आधार पर लोगो को बाटनें व भड़काने का काम कर रहें है .१९९३ मुंबई बम धमाकों के षड्यंत्रकारियों में से एक याकूब मेमन को फांसी पर लटकाने का फैसला न्यायपालिका को पहले ही दे देना चाहिए था,बहरहाल ये फैसला देर से तो आया लेकिन दुरुस्त आया.इसका स्वागत होना चाहिए.इन दरिंदो के लिए हमारे न्यायपालिका के पास साक्ष्यों की कमी नहीं थी.और न ही उनकी दलील में इनता दम था कि उसकी फांसी की सज़ा रुक जाती.ये फैसला निर्विवाद था,लेकिन भारतीय राजनीति में वोटबैंक की बहुत पुरानी परम्परा रही है,उसी का अनुसरण करते हुए हमारे कुछ राजनेता जो सेक्युलर की खाल ओढ़े देश की एकता, अखंडता व सौहार्द को बिगाड़ने की ओर अग्रसर