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Showing posts from 2020

लोककल्याण के लिए संकल्पित जननायक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 70 वां जन्मदिन मना रहे हैं . समाज जीवन में उनकी यात्रा बेहद लंबी और समृद्ध है . इस यात्रा कि महत्वपूर्ण कड़ी यह है कि नरेंद्र मोदी ने लोगों के विश्वास को जीता है और लोकप्रियता के मानकों को भी तोड़ा है . एक गरीब पृष्ठभूमि से निकलकर सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने की उनकी यह यात्रा हमारे लोकतंत्र और संविधान की शक्ति को तो इंगित करता ही है , इसके साथ में यह भी बताता है कि अगर हम कठिन परिश्रम और अपने दायित्व के प्रति समर्पित हो जाएँ तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है . 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हैं , यहीं से वह संगठन से शासन की तरफ बढ़ते है और यह कहना अतिशयोक्ति   नहीं होगी कि आज वह एक अपराजेय योध्हा बन चुके हैं . चाहें उनके नेतृत्व में गुजरात विधानसभा चुनाव की बात हो अथवा 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव की बात हो सियासत में नरेंद्र मोदी के आगे विपक्षी दलों ने घुटने टेक दिए है . 2014 के आम चुनाव को कौन भूल सकता है . जब एक ही व्यक्ति के चेहरे पर जनता से लेकर मुद्दे तक टिक से गए थे . सबने नरेंद्र मोदी में ही आशा , विश्वास और उम्मीद की नई किरण देखी और इतिहास

राष्ट्र मंदिर की स्थापना –

  5 अगस्त की तारीख इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अपने स्थान को मजबूती के साथ दर्ज करा ली है . बात मजबूती की इसलिए क्योंकि जब भी देश की अखंडता और संस्कृतिक गौरव को याद किया जायेगा , यही तारीख हमारे मानस पटल पर एक उमंगपूर्ण ऊर्जा लिए एकात्मता का एहसास कराएगी . 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाकर , जहाँ नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता को लेकर एक दृढ़ संदेश दिया , वहीँ 5 अगस्त 2020 को यह एहसास कराया कि भारत के सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए जो संघर्ष हमारे देश ने किया उसका फल कितना आनंददायक होता है . रामजन्मभूमि पर राम का मंदिर बनाना एक ऐसी घटना है जो सदियों के संघर्ष के बाद घटित हुआ है और स्वभाविक है कि इसे सदियों तक याद रखा जायेगा . जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या राममंदिर शुभारम्भ के लिए जाना तय हुआ तो सबके मन में कई सवाल खड़े हुए उनके जाने को लेकर भी सवाल उठे . खासकर कथित सेकुलर विरादरी ने संविधान की दुहाई देकर सवाल उठाए , कुछ कोरोना का हवाला दिया तो कुछ ने मुहूर्त को लेकर भी प्रलाप किया . इन प्रलापों को देखकर आमजन के मन में कोई सवाल उठा ऐसा मह

मोदी के “आत्मनिर्भर भारत अभियान” में पं दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की गहरी छाप दिखाई दे रही है.-

  कोरोना संकटकाल के दौरान अपने पांचवे राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के बाद के भारत की मजबूत रुपरेखा देशवासियों के सामने रखी है . कोरोना के कारण हुए आर्थिक नुकसान एवं आर्थिक ढांचे के चरमरा जाने के पश्चात सबके मन में यही सवाल था कि आगे भारत की आर्थिक नीति क्या होगी ? सरकार किन नीतियों का सहारा लेकर नई आर्थिक व्यवस्था को खड़ी   करेगी . पिछले कुछ दिनों से स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर भारत की चर्चा सबसे ज्यादा देखने को मिली . प्रधानमंत्री खुद ग्राम स्वावलंबन की बात सरपंचो से बातचीत के दौरान करते नजर आए थे . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने भी स्वदेशी आर्थिक मॉडल का सुझाव दिया था . लिहाज़ा अटकलें लगाई जाने लगी थी कि अब सरकार इन्हीं नीतियों को अंगीकृत करेगी और हुआ भी यही . प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में ‘ आत्मनिर्भर भारत अभियान ’ की घोषणा की . इसके लिए प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रूपये का अभूतपू