नकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस. लोकतंत्र में मंदिर संसद में जो हो रहा है उसे देख हमारे मन में कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं.जिसका जवाब मिलना बहुत मुश्किल है.शीतकालीन सत्र भी मानसून सत्र की तरह हंगामे की भेंट चढ़ गया. लोकतांत्रिक धर्म के विरुद्ध, अपने शपथ को ताख पर रख कर हमारे राजनेता इन दिनों संसद में जो कर रहे हैं.वो देश के लोकतंत्र के लिए कुठाराघात से कम नहीं है.लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुन कर संसद में पहुंचे इन सांसदों का आचरण देश के लोकतंत्र को शर्मशार कर रहा है. संसद विकास के द्वार खोलती है और विकास तभी संभव है,जब इसका दरवाज़ा खुलेगा, इसके अंदर विकास को लेकर, देश की जनमानस को लेकर चिंतन होगा.परन्तु मौजूदा वक्त में इन बातों का कोई औचित्य नहीं रह गया है.जनता मूकदर्शक बने इस तमासे को कब-तक देखती रहेंगी ? इस सवाल का जवाब भी मिलना कठिन है.आज विपक्षी दल सदन में जो कर रहे हैं वो हमारे लोकतंत्र की गरिमा के विपरीत है.सत्र के शुरुआत में ही सरकार ने विपक्ष को विश्वास में लेने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.हम ये भी कह सकते हैं कि सत्ताधारी दल इस बार नरम है तथा काम
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