Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2015

संसद सत्र : नकारात्मक विपक्ष

  नकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस. लोकतंत्र में मंदिर संसद में जो हो रहा है उसे देख हमारे मन में कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं.जिसका जवाब मिलना बहुत मुश्किल है.शीतकालीन सत्र भी मानसून सत्र की तरह हंगामे की भेंट चढ़ गया. लोकतांत्रिक धर्म के विरुद्ध, अपने शपथ को ताख पर रख कर हमारे राजनेता इन दिनों संसद में जो कर रहे हैं.वो देश के लोकतंत्र के लिए कुठाराघात से कम नहीं है.लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुन कर संसद में पहुंचे इन सांसदों का आचरण देश के लोकतंत्र को शर्मशार कर रहा है. संसद विकास के द्वार खोलती है और विकास तभी संभव है,जब इसका दरवाज़ा खुलेगा, इसके अंदर विकास को लेकर, देश की जनमानस को लेकर चिंतन होगा.परन्तु मौजूदा वक्त में इन बातों का कोई औचित्य नहीं रह गया है.जनता मूकदर्शक बने इस तमासे को कब-तक देखती रहेंगी ? इस सवाल का जवाब भी मिलना कठिन है.आज विपक्षी दल सदन में जो कर रहे हैं वो हमारे लोकतंत्र की गरिमा के विपरीत है.सत्र के शुरुआत में ही सरकार ने विपक्ष को विश्वास में लेने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.हम ये भी कह सकते हैं कि सत्ताधारी दल इस बार नरम है तथा काम

जश्न-ए- भ्रष्टाचार

        जश्न-ए- भ्रष्टाचार सोनिया और राहुल को बेल मिल गई.कांग्रेसियों के जश्न को   देखकर   लग रहा कि सोनिया और राहुल को नोबेल मिल गया है.अगर नो –बेल मिलता तो स्थिति कुछ और होती.आज-तक आपने जन्मदिन का जश्न, शादी का जश्न और तमाम प्रकार के जश्न का नाम सुना होगा लेकिन कल एक नएं जश्न का जन्म हुआ.बताते है.कांग्रेस जश्न मना रही है मगर किसका ? मैंने एक कांग्रेसी मित्र से पूछा, दोस्त ये अचानक जश्न क्यों मना रहें हो. उसने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष और हमारे युवराज़ को हेराल्ड पर जमानत मिल गई है. मुझे अजीब लगा कि जमानत तो सबको मिल जाती है इस पर जश्न कैसा !जब अदालत ने फिर निमंत्रण दिया ही है,और मुद्दा भी भ्रष्टाचार का है.हमने भी बोल दिया मित्रवर ये जश्न भ्रष्टाचार का तो जश्न नही है फिर क्या था. चिढ बैठे हमारे ऊपर,फिर आगे की रणनीति पर बात होने लगी.उन्होंने कहा कि जैसा अध्यक्ष जी ने कहा है कि हम लड़ेंगे, डरेंगे नही.पूरी कांग्रेस सोनिया –राहुल के साथ खड़ी है. अब देखिये न अजीबोगरीब स्थिति है भ्रष्टाचार इन दोनों ने किया है लेकिन कांग्रेस में किसी को ये कहना उचित नही लग रहा कि “जैसी करनी वैस

पाकिस्तान को लेकर अपना रुख स्पष्ट करें मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पैरिस में हुई एक अनौपचारिक मुलाकात को लेकर अभी बहस चल ही रही थी कि इसी बीच रविवार को भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में मुलाकात किया.लगभग चार घंटें तक चली इस बैठक में आतंकवाद और जम्मू –कश्मीर सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई.भारत के एनएसए अजीत डोभाल और पाकिस्तान के एनएसए नसीर खान जंजुआ की मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त साझा बयान जारी किया गया.जिसके मुताबिक चर्चा सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई साथ ही रचनात्मक सम्पर्क को आगे बढ़ाने पर भी सहमती बनी.इस बैठक को संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने सराहा है.लेकिन भारत में इस वार्ता की कड़ी आलोचना हो रही है. .कांग्रेस ने इस बैठक को देश के साथ धोखा करार दिया है तो वही एनडीए में  शमिल शिवसेना और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यसवंत सिन्हा ने भी इस मुलाकात पर सवाल उठाएं है.बहरहाल,आखिर पाकिस्तान से भारत सरकार को बातचीत की आवश्यकता क्यों पड़ी.ये समझ से परे है.अगर पाकिस्तान कुछ आतंक विरोधी कदम उठाये होतें या फिर सीजफायर