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Showing posts from December, 2019

रामलीला रैली के निहितार्थ

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में मचे उपद्रव के बीच पूरा देश प्रधानमंत्री की तरफ देख रहा था कि उनपर पर हो रहे लगातार हमले एवं नागरिकता कानून को लेकर फैलाए जा रहे झूठ पर वे क्या जवाब देते हैं. रविवार को देश की राजधानी दिल्ली के चर्चित रामलीला मैदान से 1731 अवैध कालोनियों को केंद्र सरकार द्वारा नियमित कराए जाने के बाद दिल्ली प्रदेश भाजपा इकाई द्वारा आयोजित ‘आभार रैली’ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता कानून को लेकर सरकार पर हो रहे हमलों का एक-एककर तार्किक जवाब दिया. प्रधानमंत्री ने इस ‘आभार रैली’ के बहाने एक तीर से कई निशाने साधने में सफल रहे.   यह रैली ऐसे वक्त में हुई जब नागरिकता कानून बहस के जेरे में हैं, इसको लेकर तमाम विपक्षी दलों एवं बुद्धिजीवियों   द्वारा सरकार पर तरह-तरह से सवाल उठाए जा रहे हैं, जगह-जगह हिंसात्मक प्रदर्शन हो रहे हैं. अफवाह मशीनरी इतनी तेज़ी से काम कर रहा है कि नागरिकता कानून को मुस्लिमों के खिलाफ़ बताते हुए, यहाँ तक कहा जा रहा है कि यह कानून मुसलमानों को देश से बाहर कर देगा. कैसे कर देगा ? इस सवाल का कोई वाजिब जवाब किसी भी प्रदर्शनकारी एवं मौन

इस हिंसक विरोध प्रदर्शन का आधार क्या है ?

जब कोई कहे ‘कौआ कान ले गया’ तो बुद्दिमानी यही है कि व्यक्ति अपना कान चेक करे, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले कान चेक करने की बजाय कौए के पीछे भागते नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस विधेयक से हिंदुस्तान के किसी भी मुस्लिम को डरने की जरूरत नहीं है. वह (मुसलमान) नागरिक हैं और रहेंगे. इसके बाद भी देशभर में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा फैलाने वाले लोगों की मंशा क्या है ? संसद के दोनों सदनों से पारित हुए इस विधेयक में कहीं भी कुछ ऐसा नहीं है जिससे भारतीय नागरिकों को डरने की आवश्यकता है, लेकिन जिस हिंसात्मक ढंग से विरोध हो रहा है उससे लगता है कि देशभर में अशांति का माहौल बनाने की साजिश रची जा रही है. जिसकी पृष्ठभूमि सदन के अंदर और सदन के बाहर विपक्षी नेताओं के बयानों से लगाया जा सकता है. यह विधेयक जब कानून का स्वरूप ले रहा था तभी से इसके विरोध में यह भ्रांति फैलाई गई कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है. दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि देश का कथित बौद्धिक गिरोह ने विपक्ष से दो कदम आग

वैचारिक प्रतिबद्धताओं को अमल में लाती मोदी सरकार

नरेंद्र मोदी सरकार के दुसरे कार्यकाल में संसद किसी एक व्यक्ति पर केन्द्रित रही है, तो वह गृह मंत्री अमित शाह हैं. एनआईए संशोधन बिल से लेकर अनुच्छेद 370 हटाने तक का ऐतिहासिक निर्णय हो, गृहमंत्री ने अपने भाषण और अपनी कार्यशैली से अपने आलोचकों को भी प्रभावित किया है. संसद के शीत सत्र खत्म होने के ठीक पहले नागरिकता संशोधन विधेयक   सदन में पारित हो गया. लोकसभा में तो इस विधेयक के पास होने पर कोई संशय नहीं था, किन्तु राज्यसभा में बिल पास होगा अथवा इस बार भी अटक के रह जाएगा. यह देखना दिलचस्प था, लेकिन तमाम संशय हवा में रह गए, सरकार की रणनीति इस बार भी राज्यसभा में सफल हुई और नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में पास हो गया. सर्वविदित है कि यह विधेयक अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिकता के आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यको को भारत की नागरिकता प्रदान करके सम्मानयुक्त जीवन व्यतीत करने का अवसर प्रदान करेगा. दुर्भाग्य से विपक्ष एवं एक विशेष बौद्धिक कबीले द्वारा इस विधेयक को लेकर बहुत सारे भ्रम और गलत धारणाओं को विकसित करने का काम तेज़ी से हो रहा है. देश के एक समुदाय क