केंदीय विश्वविद्यालय हैदराबाद से जूनियर रिसर्च फेलोशिप के जरिये पीएचडी कर रहें छात्र रोहित वेमुला ने व्यवस्थाओं से खिन्न होकर खुदकुशी कर लिया.आत्महत्या से पहले रोहित ने जो खत लिखा है.उसमें इस फैसले के लिए किसी व्यक्ति विशेष को दोषी नही बताया है तथा बचपन से अभी- तक भेदभाव की बात कही है.किसी भी छात्र की आत्महत्या इस व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करता है.ऐसा पहली बार नही हो रहा है कि कोई छात्र व्यवस्था से खिन्न आकर आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया हो,आये दिन छात्र शिक्षण संस्थानों के अड़ियल रवैये से तंग आकर मौत को गले लगा लेते है.इस आत्महत्या के मामले में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ एससी –एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.बहरहाल,इस पुरे प्रकरण को समझें तो कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है.जैसे कि रोहित दलित समुदाय से आते थे और अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे.रोहित कई ऐसी गतिविधियों में शामिल थे.जिसकी अनुमति कोई शिक्षण संस्थान नही देता,इसके बावजूद रोहित विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी कर के उन सभी आपत्तिजनक गतिविधियों में महती भूमिका निभाई थी,जो न
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