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Showing posts from February, 2020

ग्रामीण विकास के प्रणेता नानाजी देशमुख

  राष्ट्र के उत्थान के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वालों की चर्चा होते ही एक नाम हमारे समाने सबसे पहले आता है, वह है भारत रत्न राष्ट्र ऋषि, विराट पुरुष नाना जी देखमुख का. नानाजी देशमुख आज भी प्रासंगिक है तो उसका सबसे बड़ा कारण सामाजिक जीवन में नैतिकता और राष्ट्र सेवा के लिए संकल्पबद्ध होकर कठिन परिश्रम करना. नानाजी देखमुख के राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की शुरुआत संघ के स्वयं सेवक के ररूप में शुरू हुई. वह संघ के प्रचारक के साथ –साथ वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और आपातकाल के बाद देश में हुए लोकसभा चुनाव के उपरांत नानाजी देशमुख उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा सदस्य चुनकर बतौर सांसद भी उल्लेखनीय कार्य किया. नानाजी ने बिना किसी भेदभाव के ग्रामीण अंचलों में शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी समस्याओं को दूर करने का दिया जलाया. नानाजी देशमुख के विचारों की प्रासंगिकता को इस तरह भी समझा जा सकता है कि उन्होंनें जो दर्शन उस समय में दिए वह आज भी प्रसांगिक हैं. यह बात सर्विदित है उन्होंने ग्रामीण विकास का एक ऐसा आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया. जिसमें ग्रामीण भारत स्वावलंबन की तरफ अग्रसर हुआ.

दो मामले जिन्होंने वामपंथी और सेक्युलर गिरोह के पाखण्ड की कलई खोल दी है!

देशभर   में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों का अराजक स्वरूप जिस तरह सामने  आया है , वह हैरान करने वाला है। ऐसा कानून जिससे देश के नागरिकों का कोई संबंध ना हो , उसपर इस तरह का वातवरण खड़ा करना , मानो एक खास समूह का सब कुछ लुट गया हो , हैरतअंगेज लगता है।   समूचे देश ने देखा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर कैसे सुनियोजित हिंसा फैलाई गई , आगजनी की गई , बसों को आग के हवाले कर दिया गया , देश को तोड़ने की बात कही गई। यहाँ तक कि हिन्दू धर्म के विरोध में गैरवाजिब नारे उछाले गए। यह सब मामला चल ही रहा था कि जेएनयू के छात्र शरजील इमाम का एक वीडियो सामने आया जिसमें वह असम और नार्थ ईस्ट को भारत से काटने की बात कर रहा था ,  वहीं गुरुवार को गोपाल नाम का एक सिरफिरा जामिया नगर इलाके में खुलेआम कट्टा लहराते हुए नजर आया। उसके फायरिंग से एक व्यक्ति घायल भी हो गया है। हाल के कुछ दिनों में सामने आये इन दो मामलों ने वामपंथी पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों के पाखंड को बेनकाब कर दिया है। कैसे ये एक मामले पर ये चुप्पी साध लेते हैं अथवा उसके बचाव में बेतुका तर्क , झूठ प्रस्तुत करने लगते हैं