राष्ट्र के उत्थान के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वालों की चर्चा होते ही एक नाम हमारे समाने सबसे पहले आता है, वह है भारत रत्न राष्ट्र ऋषि, विराट पुरुष नाना जी देखमुख का. नानाजी देशमुख आज भी प्रासंगिक है तो उसका सबसे बड़ा कारण सामाजिक जीवन में नैतिकता और राष्ट्र सेवा के लिए संकल्पबद्ध होकर कठिन परिश्रम करना. नानाजी देखमुख के राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की शुरुआत संघ के स्वयं सेवक के ररूप में शुरू हुई. वह संघ के प्रचारक के साथ –साथ वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और आपातकाल के बाद देश में हुए लोकसभा चुनाव के उपरांत नानाजी देशमुख उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा सदस्य चुनकर बतौर सांसद भी उल्लेखनीय कार्य किया. नानाजी ने बिना किसी भेदभाव के ग्रामीण अंचलों में शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी समस्याओं को दूर करने का दिया जलाया. नानाजी देशमुख के विचारों की प्रासंगिकता को इस तरह भी समझा जा सकता है कि उन्होंनें जो दर्शन उस समय में दिए वह आज भी प्रसांगिक हैं. यह बात सर्विदित है उन्होंने ग्रामीण विकास का एक ऐसा आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया. जिसमें ग्रामीण भारत स्वावलंबन की तरफ अग्रसर हुआ.
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