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Showing posts from August, 2015

कांग्रेस में बड़े बदलाव की जरूरत

    भारतीय राजनीति में सबसे पुरानी और सबसे अनुभवी पार्टी कांग्रेस आज सबसे बुरी हालत में है,विगत लोकसभा चुनाव के बाद इस विरासत का पतन निरंतर देखने को मिल रहा है,पार्टी को एक के बाद एक चुनावों में मुंह की खानी पड़ रही है, फिर भी अभी तक कांग्रेस अध्यक्षा ने पार्टी में कोई बड़ा अमूलचूल बदलाव नहीं किया है और न ही इसके संकेत अभी तक दिए हैं.130 वर्ष पुरानी पार्टी जिसने आज़ादी के आन्दोलन से लेकर देश के सतत विकास में प्रमुख भूमिका निभाई .आज वही पार्टी हर चुनावों में सबसे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन कर रही है. हाल ही में हुए मध्यप्रदेश और राजस्थान नगर निकाय चुनाव में फिर सत्ताधारी दल बीजेपी को भरी बढ़त देखने को मिली तथा कांग्रेस को फिर एक मर्तबा करारी शिकस्त झेलनी पड़ी,ये बात दीगर है कि नगर निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों अलग –अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है और जनता भी दोनों चुनावों को भिन्न –भिन्न नजरिये से देखती है.बीजेपी के लिए इस जीत के मायने भले ही कम हो लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि कांग्रेस के लिए ये एक बड़ी हार है क्योंकि ये उन्हीं राज्यों की जनता का मत है जिस राज्य में व्यापमं और ललित गेट हु

आत्महत्या की राह पर बदहाल किसान।

उत्तर प्रदेश के मथुरा में पिछले 17 साल से भटक रहे लगभग पच्चीस हजार किसानों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सामूहिक आत्महत्या करने की अनुमति मांगी है.मथुरा गोकुल बैराज पीड़ित किसान लगभग 17 साल से मुआवज़े के लिए भटक रहे हैं.पिछले वर्ष नवंबर  में किसानों ने अपने हक के लिए धरना भी दिया था, उसके बदले किसानों पर पुलिस ने बर्बरतापूर्वक गोलीबारी और लाठियां बरसाई थीं औरउनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की गई थी.हद तो तब हो गई जब गरीब किसानों पर प्रशासन ने लूट, डकैती और हत्या जैसे संगीन आरोप लगाकरअन्यायपूर्ण तरिके से 526 किसानों को जेल में डाल दिया था.गोकुल बैराज बाँध में 11 गावं के किसानों की तकरीबन 700 एकड़ जमीन जलमग्न हो गई है, जिससे 943 परिवारों के पच्चीस हजार सदस्य भूमिहीन हो गए हैं.इससे पहले भी इनके परिवारों के लोग पैसे की कमी के कारण बीमारी और भूखमरी के शिकार होकर काल के गाल में समाते रहे हैं. प्रशासन के आकलन के अनुसार किसानों की मुआवजा राशि 800 करोड़ है लेकिन इन किसानों की सुध न तो प्रशासन ले रहा और न ही शासन.17 साल से यह समस्या नौकरशाही और सियासत के मकड़ज

दैनिक जागरण (राष्ट्रिय संस्करण ) में प्रकाशित

दैनिक जागरण (राष्ट्रिय संस्करण ) में प्रकाशित 

पिछली दुर्घटनाओं से सबक ले रेलवे

िछली दुर्घटनाओं से सबक ले रेलवे मध्य प्रदेश के हरदा से तक़रीबन पच्चीस किलोमीटर दूर खिड़किया और भिंगरी के बीच मंगलवार देर रात करीब 11:30 बजे भयंकर रेल हादसा हो गया.भारी बारिश के चलते माचक नदी का पानी कई फूट बढ़ गया जिससे नदी पर बना रेलवे पुल धस गया जिसके चलते मुंबई से वाराणसी जा रही कमायनी एक्सप्रेस और पटना से मुंबई जा रही जनता एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई.पुल के धसने से जनता एक्सप्रेस के पांच डिब्बे व इंजन और कमायनी एक्सप्रेस के ग्यारह डिब्बे नदी में गिर गये.इस भीषण हादसे में लगभग 31 यात्रियों की मौत हो गई है, अभी मृतको की संख्या बढने की आशंका है और 100 से अधिक लोग घायल हैं. ये हादसा एकबार फिर रेलवे के सुरक्षा प्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है तथा रेल हादसों को रोकने की रेलवे के उन सभी दावों की पोल खोल रहा है जो दावे वो हर रेल हादसा होने के पश्चात् करते हैं. हर बजट में यात्रियों के सुरक्षा व सुविधा के नाम पर लम्बें –चौड़े वादें किए जाते हैं. परन्तु, इस पर कोई सरकार अमल नहीं करती है.बहरहाल,फिर वही पुरानी परम्परा जो भारत में चलती आई है उसी को दोहराते हुए रेल मंत्रालय ने मुआवज़े की घोषण