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Showing posts from April, 2016

सिद्धरमैया को बर्खास्त करे आलाकमान

        भ्रष्टाचार के आरोपों से चौतरफा घिरी कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं.वर्तमान दौर में कांग्रेस की परिस्थिति देखकर ऐसा लग रहा है मानों कांग्रेस के राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में भ्रष्टाचार करने की प्रतिस्पर्धा चल रहीं हो.एक तरफ राष्ट्रीय नेतृत्व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रहा हैं तो, वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक से जो खबर आ रही है.वो किसी भी सूरतेहाल में कांग्रेस के लिए सही नहीं हैं.जाहिर है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री  सिद्धरमैया की कई मसलों पर पहले भी किरकिरी हो चुकी है.इसबार आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अपने बेटे को सरकारी अस्पताल में लैब और डायग्नोस्टिक सुविधा बनाने का ठेका सभी नियम –कानून को ताक पर रखते हुए दे दिया है.मामला जैसे ही सामने आया एकबार फिर सिद्धरमैया सबके निशानें पर आ गये है. विपक्ष इस पुरे मुद्दे की जाँच सीबीआई से कराने की मांग करने लगा है,बढ़ते दबाव के बीच उनके बेटे यतींद्र सिद्धरमैया ने मैट्रिक्स इमेजिंग सल्यूशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया है.गौरतलब है कि ठेका इसी कंपनी को दिया था

लंबित मुकदमों का निस्तारण जरूरी

     देश के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर बेटे विगत रविवार को मुख्यमंत्रियों एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीशों के सम्मलेन को संबोधित करते हुए भावुक हो गये.दरअसल अदालतों पर बढ़ते काम के बोझ और जजों की घटती संख्या की बात करतें हुए उनका गला भर आया.चीफ जस्टिस ने अपने संबोधन में पुरे तथ्य के साथ देश की अदालतों व न्याय तंत्र की चरमराते हालात से सबको अवगत कराया.भारतीय न्याय व्यवस्था की रफ्तार कितनी धीमी है.ये बात किसी से छिपी नहीं है,आये दिन हम देखतें है कि मुकदमों के फैसले आने में साल ही नहीं अपितु दशक लग जाते हैं.ये हमारी न्याय व्यवस्था का स्याह सच है,जिससे मुंह नही मोड़ा जा सकता.देश के सभी अदालतों में बढ़ते मुकदमों और घटते जजों की संख्या से इस भयावह स्थिति का जन्म हुआ है.गौरतलब है कि 1987 में लॉ कमीशन ने प्रति 10 लाख की आबादी पर जजों की संख्या 50 करनें की अनुशंसा की थी लेकिन आज 29 साल बाद भी हमारे हुक्मरानों ने लॉ कमीशन की सिफारिशों को लागू करने की जहमत नही उठाई.ये हक़ीकत है कि पिछले दो दशकों से अदालतों के बढ़ते कामों पर किसी ने गौर नही किया.जजों के कामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई.केसो

गुलाम कश्मीर की सच्चाई दुनिया के सामने लाए भारत

जम्मू –कश्मीर ऐसे मसला है जिसका राग समय –समय पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अलापते रहतें हैं,दुनिया के सामने ये झूठ बार-बार परोसते हैं कि जम्मू –कश्मीर में भारत की सेना वहां की आवाम पर जुल्म करती है,लेकिन स्थिति इसके ठीक विपरीत है,सच्चाई यह है कि पाक सरकार अपने अधिकृत कश्मीर के नागरिकों पर अत्याचार करती है,पाकिस्तान के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को बंदूख की सहायता से दबाने का प्रयास करती है,दरअसल बुधवार को गुलाम कश्मीर के मुजफ्फराबाद में बेरोजगारी और गरीबी के विरोध में सैकड़ो युवा सड़क पर उतर आये,युवाओं का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार स्थानीय नौकरियों में भी पाकिस्तान के युवकों को तरजीह देती है.ऐसे में इनके पास अपने जीविका का कोई साधन नहीं है.वहां के ज्यादातर युवा बेरोजगार हैं. जाहिर है कि स्थानीय नौकरियों में भी पाक सरकार इनका हक नही देती.इस भेदभाव से तंग आकर कश्मीर नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन और जम्मू कश्मीर नेशनल आवामी पार्टी के नेतृत्व में युवाओं ने जमकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारे लगायें.उनमे से कुछ नारे इसप्रकार से थे -हम कश्मीर बचाने निकलें हैं आओं हमारे साथ चलो, पाकिस्तान मुर्दाबाद ये

इस त्रासदी का ज़िम्मेदार कौन ?

               केरल के पुत्तिंगल देवी मंदिर में रविवार के तड़के आग  लगने से अबतक लगभग 112 लोग काल की गाल में समा गये है,जबकि 350 से अधिक लोग घायल हो गयें हैं.दरअसल इस मंदिर हर साल की भांति इस साल भी नये साल का उत्सव मनाया जा रहा था.जिसमें आतिशबाजी की प्रतियोगिता रखी गई थी,इसी दौरान पटाखें की एक चिंगारी उस जगह पर जा गिरी जहाँ बड़ी मात्रा में पटाखें रखें हुए थें.इससे इतना भीषण विस्फोट हुआ कि इसकी चपेट में मंदिर सहित आस –पास के मकान कुछ ही देर में मलबे मे तब्दील हो गये .इस आगजनी के बाद मची भगदड़ ने सैकड़ो श्रद्धालुओं को अपनी चपेट में ले लिया .हादसें के बाद राहत व बचाव जोरो पर है.इन सब के बीच राज्य सरकार ने इस पुरे मामले की न्यायिक जाँच कराने के आदेश दे दिए हैं.एक बात तो स्पष्ट है कि यह हादसा मंदिर में आतिशबाजी जैसी कुप्रथा के चलते हुई है,लेकिन इस हादसे के  बाद बुनियादी सवाल यही उठता है कि इस त्रासदी का जिम्मेदार कौन है ? सवाल की तह में जाएँ तो केरल के गृह मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि प्रशासन ने मंदिर परिसर में आतिशबाजी की इजाजत नही थी,फिर बगैर इजाजत आतिशबाजी की प्रतियोगिता क्यों रखी गई

परमाणु सुरक्षा पर आतंक का मंडराता खतरा

        अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में परमाणु सुरक्षा जैसे गंभीर विषय को लेकर पचास के अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने विचार –विमर्श किया.इस शिखर सम्मलेन के मुख्य उद्देश्य परमाणु सुरक्षा पर मंडराते खतरे को रोकना था.सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस विषय पर चिंता जाहिर की कि परमाणु अस्त्र  निर्माण में इस्तेमाल होने वालें युरेनियम और प्लूटोनियम पदार्थ को सुरक्षित कैसे रखा जाए.जाहिर है कि बोको हरम,इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे आतंकी संगठन परमाणु हथियार और उसकी तकनीक हासिल करने की फिराक में लगे हैं,ऐसे में परमाणु अस्त्रो को सुरक्षित करना सभी परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों का प्रमुख दायित्व है.लेकिन मौजूदा परिस्थितियों कुछ राष्ट्र इस मसले पर गंभीर नही हैं.जिसमें आतंक परस्त पाकिस्तान और उत्तर कोरिया प्रमुख हैं,एक तरफ में चरमपंथी ताकतें मजबूत हो रहीं तो दूसरी उत्तर कोरिया बार –बार अपने परमाणु शक्ति का परीक्षण कर रहा है,ऐसा में स्थिति और गंभीर हो जाती है.बहरहाल,अगर हम परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलनों की पृष्टभूमि पर नजर डालें तो अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की पहल से पहला परमाणु सुर

देर से ही सही लेकिन पीड़ितो को मिला न्याय

          भारतीय न्याय व्यवस्था की रफ्तार कितनी धीमी है , इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीलीभीत में पचीस साल पहले हुए एक फर्जी मुठभेड़ का फैसला अब आया है . दरअसल , उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में आज से तकरीबन पचीस साल पहले पुलिस ने दस सिख युवकों को आतंकवादी बताकर मौत के घाट उतार दिया था . इस मामले की जाँच कर रही सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने उस मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए,उस एनकाउंटर में संलिप्त सभी दोषी 47 पुलिसकर्मियों को जुर्माना तथा आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है . इस फैसले के आने के बाद से स्पष्ट हो गया है कि पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से इस मुठभेड़ को अंजाम दिया था,जिसमें हर एक पहलू इस बात की पुष्टि करतें है कि पुलिस इस मुठभेड़ के लिए पहले से पूरी तरह तैयार बैठी थी. इस पुरे प्रकरण की पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो 12 जुलाई 1991 को सिख समुदाय के लोग पटना साहिब , नानकमथा , हुजुर साहिब समेत कई और तीर्थ स्थलों से लगभग पचीस सिख तीर्थयात्रियों का जत्था वापस लौट रहा था . सुबह करीब ग्यारह