लोकसभा चुनाव राजनीतिक दलों के लिए एक युद्ध की तरह होता है. इसमें तमाम प्रकार की रणनीतियां सफल अथवा विफल होती है. प्राय: जिस राजनीतिक दल को जनादेश प्राप्त होता है, उस दल के कार्यकर्ताओं में विजय के उपरांत जीत के जश्न में आलस्य का भाव आ जाता है और यहीं से संगठन आंतरिक ढंग से कमजोर पड़ने लगता है.लेकिन , भाजपा अध्यक्ष अमित शाह संगठन को सक्रिय रखने और आगे बढ़ाने के लिए नए –नए सफ़ल प्रयोग करते रहे हैं. अमित शाह के राजनीतिक क्रियाकलापों को समझें तो यह स्पष्ट पता चलता है कि जब पहले पहले लक्ष्य की सफलता की आखिरी पड़ाव पर होते हैं तो, वह अगले लक्ष्य की सलफता का चक्रव्यूह रच चुके होते हैं.गत सप्ताह भाजपा अध्यक्ष ने पदाधिकारियों की बैठक में एक ऐसी बात कही जिसने राजनीति के जानकारों को हैरान कर रखा है. अभी लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड विजय के बावजूद भाजपा अध्यक्ष का यह कहना कि ‘भाजपा अभी अपनी उंचाई पर नहीं पहुंची है’ यह दर्शता है कि अमित शाह अभी संगठन के विस्तार और इस अपार जनसमर्थन के बाद भी रुकने वाले नहीं है. उनका अगला लक्ष्य दक्षिण भारत में संगठन के जनाधार को बढ़ाना है, वैसे शाह की अचूक रणनीत
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