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Showing posts from September, 2016

निष्पक्ष चुनाव कराने की चुनौती

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे –जैसे करीब आता जा रहा है सभी राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग भी चुस्त होता जा रहा है.दरअसल,  देश के सबसे बड़े सूबे में चुनाव के दरमियान अनियमितताओं को लेकर भारी मात्रा में शिकायत सुनने को मिलती रहती है . जिसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने अभी से कमर कस ली है जिससे आने वाले विधानसभा चुनाव को सही ढंग से कराया जा सके. इसको ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग पूरी तरह से सक्रिय हो गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपनी पूरी टीम के साथ लखनऊ में पुलिस के आला अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. जिसमें चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया गया तथा आगे की रणनीति पर चर्चा हुई, चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि चुनाव से पहले सभी चिन्हित अपराधियों को जेल में डाला जाए इसके उपरांत ही भयमुक्त चुनाव कराए जा सकते हैं. इसके साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने पुलिस अधिकारियों को सख्त लहजे में कह दिया है कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी. इस तरह यूपी चुनाव में जैसे राजनीतिक दल अपनी–अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं, वैसे ही चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयारियों में तेज़ी ला

कैराना का स्याह सच आया सामने

लगभग साढ़े तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश के कैराना में हिन्दू समुदाय की पलायन की खबरें सामने आई थीं. यह पलायन चर्चा के केंद्र बिंदु में लंबे समय तक रहा किसी ने इस पलायन को सही बताया तो किसी ने इसे खारिज कर दिया, यहाँ तक की मीडिया के एक हिस्से ने भी पलायन की खबरों को नकार दिया था.जाहिर है कि उनदिनों कैराना में सब कुछ ठीक नहीं था,वहां के हिन्दूओं का जीना दूभर हो गया था, एक धर्म विशेष की उग्रता के कारण हिंदू परिवार पलायन कर रहे थे,प्रशासन मौन खड़े तमाशाबीन बनी हुई थी.स्थिति कितनी दयनीय थी इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लोग अपने घरों को बेच वहां से निकलना चाहते थे.सवाल यह उठता है कि इन सच पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों हुई ? उस समय जो सुबूत  हमारे सामने आये उससे ही स्पष्ट हो गया था कि पलायन की घटना कैराना का काला सच है जिसे स्वीकार करना ही होगा. गौरतलब है कि हिन्दूओं में दहशत का माहौल था, लोग किसी भी तरह कैराना को छोड़ना चाहते थे ,एक समुदाय विशेष द्वारा बनाएं गय भय से मुक्ति चाहते थे इसके लिए उनके पास पलायन के अलावा कोइ चारा नही था,मकानों को बेचने के पोस्टर अपनी जन्मभूमि से बिछड़न

पुलिस महकमे में सुधार की आस

      देश में समय – समय पर पुलिस की कार्य प्रणाली में सुधार की मांग उठती रही है. जाहिर है कि पुलिस महकमे में आज भी तमाम प्रकार की खामियां मौजूद हैं , पुलिस के ऊपर भ्रष्टाचार , दुरव्यवहार , एफआईआर न लिखने सहित कई आरोप आये दिन लगते रहते हैं. यही नहीं आरोप यह भी लगते रहे हैं कि पुलिस एफआईआर में छेड़छाड़ कर मुकदमे को कमजोर करने की कोशिश भी कई दफा करती है. ऐसे गंभीर मसले पर शीर्ष अदालत ने संज्ञान लेते हुए एक अहम आदेश जारी किया है. यूथ लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि देशभर के थानों में दर्ज एफआईआर को 24 घंटे के भीतर राज्य सरकार या पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किया जाये. न्यायाधीश दीपक मिश्रा और सी नगाप्प्न की बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश देश के सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए दिए हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिन स्थानों पर नेट्वर्किंग की सुविधा नहीं है या जिन दुर्गम इलाकों में इंटरनेट स्लो है वहां समयावधि 24 की बजाय 72 घंटे के अंदर प्राथमिकी को वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी होगा. वहीँ