देश में इस समय सोशल मीडिया को लेकर उठा कोलाहल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है जब भी मामला शांत होने की कगार पर आता ट्विटर की बदमाशी इसे और बढ़ा देती. सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की बात करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं हो रही है क्योंकि ट्विटर ही सभी प्लेटफार्मों का सरदार बनने की कोशिश में लगा हुआ है. ट्विटर ने पिछले एक पखवारे से जो अकड़ व अहंकार दिखाया है उससे तो यही लगता है कि ट्विटर ने एक अलग गणराज्य की स्थापना कर लिया है और इस मुगालते में जी रहा है कि उस गणराज्य द्वारा जारी फरमान के मुताबिक़ ही सभी देश चलें अथवा उसे ही सर्वोपरी रखा जाए. भारत सरकार के नए आईटी नियमों को मनाने को लेकर जिस तरह से विवाद हुआ उससे स्पष्ट हो गया कि सोशल साइट्स कम्पनियां अपने आप को अत्याधिक शक्तिशाली मानने लगी हैं. इनके लिए किसी देश भी के संविधान, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की गरिमा से खेलना आम हो गया है. भारत में ट्विटर का पूर्वाग्रह किसी से छुपा नहीं है उससे कहीं अधिक ट्विटर भी यह बताने की उत्सुकता दिखा रहा है कि उसकी विचारधारा क्या है. ट्विटर पर कई अधिकृत ब्लू टिक वाले अकाउंट होंगे जो सक्रिय नही
इस ब्लॉग के माध्यम से लोगो तक अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त कर आपके सामने परोसना है ,विचारो में मतभेद होते हैं और होने भी चाहिएं .आप हमेशा एक तर्कपूर्ण बहस के लिए आमंत्रित है .. स्वागत है ..बंदन है .....अभिनंदन है .......