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Showing posts from 2017

कबतक जारी रहेगा गतिरोध ?

     विगत दो साल से सरकार और न्यायपालिका के बीच जमी बर्फ पिघलने का नाम नहीं ले रही.यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई बार सार्वजनिक मंचों से कभी न्यायपालिका सरकार को निशाने पर लेने से नहीं चुकती तो , सरकार भी न्यायपालिका को कार्यपालिका के कामों में दखल न देने की सलाह देने से बाज़ नहीं आती.लेकिन , प्रधानमंत्री हर बार इस जमी बर्फ को मंच से ही पिघलाने की कवायद करते नजर आते हैं. विगत दिनों संविधान दिवस के मौके पर कुछ ऐसा ही हुआ विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंच से ही न्यायपालिका को आड़े हाथो लेते हुए अपरोक्ष रूप से पुन: राष्ट्रीय न्यायिक न्युक्ति आयोग की वकालत करने से नहीं चुके.वहीँ मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने रविशंकर प्रसाद को जवाब देते हुए कहा कि नगारिकों के मौलिक अधिकार सबसे ऊपर हैं. उन्होंने संविधान द्वारा न्यायपालिका की तय की गई भूमिका को याद दिलाते हुए कहा कि संविधान ने न्यायपालिका को संविधान के संरक्षक की भूमिका सौंपी है , जिसका निर्वहन न्यायपालिका समय-समय पर करती आई है. इससे पहले केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली  ने भी न्यायिक सक्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि न्यायपालिका सरकार के कामक

देश के आर्थिक सुधारों पर वैश्विक स्वीकार्यता

पिछला सप्ताह नरेंद्र मोदी सरकार को काफ़ी राहत देने वाला रहा है.एक तरफ़ उनकी लोकप्रियता को लेकर आया सर्वेक्षण जहाँ व्यतिगत तौर पर मोदी और बीजेपी को आश्वस्त करता है वहीँ, नोटबंदी और जीएसटी के बेज़ा विरोध में जुटे विपक्ष को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडिज़ ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को बढ़ाकर करारा झटका दिया है.गौरतलब है कि अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा करवाए गये सर्वे में आज भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार है.इस सर्वे में 24,464 लोगों को शामिल किया गया.जिसके आंकलन के उपरांत यह बात निकल कर सामने आई कि 88 प्रतिशत लोगों की आज भी पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं. यह सर्वेक्षण फ़रवरी और मार्च के बीच किया गया इसमें एक तर्क यह भी है उसवक्त जीएसटी लागू नहीं किया गया था.पर,यह स्याह सच है कि जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री में उम्मीदवार घोषित हुए तबसे अभी तक सत्ता में आये साढ़े तीन साल होने को हैं किन्तु प्रधानमंत्री की लोकप्रियता में कमी देखने को नहीं मिली है.उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि यह सर्वे उस वक्त किया गया जब देश की आम जनता नोटबंदी के कारण हुई परेशानियों से

सेक्स सीडी से उपजे कई गंभीर सवाल

गुजरात में मतदान की तारीख जैसे –जैसे करीब आ रही रोज़ कुछ न कुछ सियासी भूचाल आ रहा है.सभी दल अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना रहें है. चुनावी समर के मध्य पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल का एक अश्लील वीडियो जैसे ही सामने आया गुजरात का सियासी[पारा अपने परवान पर चढ़ गया.दरअसल,इस वीडियो में हार्दिक पटेल किसी होटल के कमरे में लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहें है.गुजरात के चुनावी मौसम में यह वीडियो इस राजनीतिक माहौल में आग में घी डालने जैसा काम किया है.जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया के वाया वायरल हुआ इसको लेकर भारी हंगामा मच गया.सबसे पहले यह स्पष्ट करना उचित होगा कि यह वीडियो गुजरात की चुनावी राजनीति को विशेष रूप से प्रभावित करेगी, ऐसा नहीं लगता और ना ही इसका कोई सरोकार सीधे तौर पर जनता से है.बहरहाल,यह ओछी राजनीति का एक उदाहरण भर है.यह वीडियो किस मकसद से और किसने वायरल किया है,यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है. किन्तु विरोधी दल से लगाए सोशल मीडिया पर एक कबीले के लोग बिना किसी पुख्ता सुबूत के यह साबित करने में लग गये की यह वीडियो बीजेपी ने वायरल किया

भारत और बंग्लादेश के रिश्तों पर दौड़ेगी बंधन एक्सप्रेस

भारत और बंग्लादेश के बीच गुरुवार का दिन दोनों देशों के लिए बेहद एतिहासिक दिन रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये बंधन एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई.यह सुखद था कि इनदिनों मोदी सरकार के हर फैसले पर विरोध का झंडा बुलंद करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ी रहीं. यह रेल सेवा सप्ताह में एक दिन बंग्लादेश के खुलना शहर से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बीच चलेगी.अगले सप्ताह यानी 16 नवंबर से यह रेल सेवा आम जनता के लिये शुरु हो जाएगी. यह क्रास कंट्री सेवा दोनों देशों के रिश्ते को बंधन एक्सप्रेस और मजबूती देगा. भारत और बंग्लादेश के बीच संबंधों में जो ऊंचाई पिछले दो सालों में देखने को मिली है,वह अभूतपूर्व है जाहिर है कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच बेहतर तालमेल का ही परिणाम है कि आज दोनों देशों के बीच परमाणु से लेकर आतंकवाद तक दोनों राष्ट्र एक ध्रुव पर खड़े होकर एक दुसरे के सहयोग से आगे बढ़ रहें हैं.यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत और बंग्लादेश के बीच पहले मैत्री एक्सप्रे

खुद को स्थापित करने का विचित्र तर्क

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया,बर्कले में छात्रों से चर्चा के दौरान कई ऐसी बातें कहीं जो कांग्रेस के भूत और भविष्य की रूपरेखा के संकेत दे रहे हैं. इस व्याख्यान में राहुल गाँधी ने नोटबंदी ,वंशवाद की राजनीति सहित खुद की भूमिका को लेकर पूछे गये सवालों के स्पष्ट जवाब दिए.मसलन 2014 के आम चुनाव से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि कांग्रेस 2012 के आसपास घमंडी हो गई थी और लोगो से संवाद करना बंद कर दिया था.वहीँ अपनी भूमिका को लेकर पूछे गये सवाल में राहुल ने कांग्रेस में आगामी बड़े बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि वह पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.राहुल भले ही यह सब बातें अमेरिका में बोल रहे थे किन्तु, भारत के सियासी गलियारों में इसकी चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या कांग्रेस की ताकत का स्थानांतरण दस जनपथ से बारह तुगलक लेन होने जा रहा है ? ऐसा माना जा रहा है कि अगले महीने होने जा रहे संगठनात्मक चुनाव में समूची कांग्रेस पर राहुल गाँधी का वर्चस्व होगा अर्थात राहुल को पार्टी की कमान सौंप दी जाएगी.राहुल को अध्

माखनलाल चतुर्वेदी जिनके गौरक्षा आंदोलन के आगे अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े थे,आज माखनलाल विश्वविद्यालय में गौशाला खुलने पर इतना विरोध क्यों ?

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विशनखेड़ी में बनने वाले नए परिसर में गौशाला खुलने का प्रस्ताव जैसे ही सामने आया.कांग्रेस ,माकपा सहित एक विशेष समूह ने इस फैसले पर बेजा विरोध शुरू कर दिया है.मीडिया ने भी इस मसले को पूरी तरजीह दी है लेकिन, कुछेक बड़े समाचार चैनलों और अख़बारों ने तथ्यों के साथ न केवल छेडछाड़ किया है बल्कि समूचे प्रकरण को अलग रंग देने की कोशिश भी की है .इस विवाद की पृष्ठभूमि पर नज़र डालें तो यह विवाद तब तूल पकड़ा जब संस्थान के नए परिसर में बची भूमि पर गौशाला खोलने के लिए विज्ञापन दिया  गया .जिसमें गौशाला चलाने वाली संस्थाओं को आमंत्रित किया गया है.विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कहना है कि नए परिसर में बची पांच एकड़ जमीन में से दो एकड़ में गौशाला खोलने की योजना है तथा गौशाला के लिए विश्वविद्यालय अपना धन व्यय नहीं करेगा बल्कि इसे आउटसोर्सिंग के जरिये चलाया जायेगा.खैर,इस मामले को लेकर जबरन विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है.माखनलाल ऐसा पहला विश्वविद्यालय नहीं है जिसमें गौशाला खोलने का फैसला लिया गया हो देश के कई संस्थानों में पहले

रामनाथ कोविंद के नाम पर आम राय क्यों नहीं !

सभी प्रकार की अटकलों पर विराम लगाते हुए एनडीए ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाएं जाने की घोषणा की है. इससे पहले कई नाम चर्चा में रहे किन्तु एक गहन मंथन के बाद बीजेपी नेतृत्व ने रामनाथ कोविंद के नाम पर सहमती जताई तथा इसकी सूचना अन्य दलों को भी दी. रामनाथ कोविंद एक ऐसा नाम सामने आया जिसका अंजादा किसी को नही था. एक बात तो तय है अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी जबसे भारतीय राजनीति के क्षितिज पर पहुंची हैं, सभी कयास विफल साबित हो रहे हैं.राजनीतिक पंडितों के अनुमान धरे के धरे रह जा रहे.इनकी राजनीति की कार्यशैली न केवल चौंकाने वाली है बल्कि इस बात की तरफ भी इशारा करती है कि यह जोड़ी किसी भी फैसलें को लेने से पहले उस फैसले के सभी पहलुओं पर भारी विमर्श और उसके दीर्घकालिक परिणामों को जेहन में रखकर निर्णय लेने में विश्वास रखते हैं.इसमें कोई दोराय नही कि आज समूची भारतीय राजनीति की सबसे सफलतम जोड़ियों में से यह जोड़ी वर्तमान राजनीति की दिशा व दशा तय कर रहे  है.राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा होते ही पूरा विपक्ष काफी देर तक यह समझने में असमर्थ रहा की इस फै

पूर्व प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप !

देश में घोटालों के मामले में कीर्तिमान स्थापित कर चुकी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल हुए लगभग तीन साल होनें को है लेकिन, घोटालों की जमी मजबूत परत एक –एक कर सामने आ रही है.यह जगजाहिर है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व के चल रही यूपीए सरकार में कोयला ,टू जी ,आगस्टा तथा कॉमनवेल्थ गेम जैसे बड़े घोटाले हुए हैं.जिसको लेकर कांग्रेस हमेशा से प्रधानमंत्री की भूमिका को खारिज करती रही है किन्तु अब कॉमनवेल्थ घोटाले का जिन्न फिरसे बाहर आ गया है.संसद की लोक लेखा समिति ने उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है,जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर आलोचना की गई है.रिपोर्ट में कई ऐसे गंभीर आरोप लगायें हैं जिससे घोटाले में मनमोहन सिंह की भूमिका को संशय के घेरे में खड़ा करती है.रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमओ ने तत्कालीन खेल मंत्री सुनीत दत्त के एतराज को दरकिनार करते हुए सुरेश कलमाड़ी को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाया जो भारी गलती थी. रिपोर्ट में पीएमओ द्वारा गलत जानकारी देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि जनवरी 2005 में खेलों की तैयारी के सिलसिले में हुई मंत्रीमंडल समूह की बैठक के मिनट्स ना बटने की

किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में योगी सरकार

   उत्तर प्रदेश सरकार की पहली बहुप्रतीक्षित कैबिनेट बैठक मंगलवार को हुई.जैसा  की अनुमान लगाया जा रहा था कि योगी सरकार अपने लोककल्याण संकल्प पत्र में किसानों के ऋण माफ़ के वादे को पूरा करेगी ,वैसा ही हुआ.जाहिर है कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बार –बार इस बात पर जोर दे रहे थे कि, अगर यूपी में भाजपा सत्ता में आती है तो, सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों का ऋण माफ़ कर दिया जायेगा,यही कारण है की सरकार गठन के एक पखवारे बाद कैबिनेट की पहली बैठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलाई और किसानों को कर्ज मुआफी के जरिये बड़ी राहत देने की घोषणा की.अपने वायदे के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के दो करोड़ से ज्यादा लघु व सीमांत किसानों के कुल 36,359 करोड़ का ऋण माफ़ किया है.इससे एक लाख तक का फसल ऋण लेने वाले किसानों को बड़ी राहत मिली है.सरकार ने उन किसानों को भी मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है.जिन्होंने कर्ज लिया था मगर उसका भुगतान नहीं कर पाए थे.जिससे वह ऋण गैर निष्पक्षता आस्तियां बन गया था फलस्वरूप उन्हें बैंको ने ऋण देना बंद कर दिया.इन सात

‘एंटी रोमियो अभियान’ के अनुसरण की तैयारी में अन्य राज्य !

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गठन उपरांत महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर एंटी रोमियों स्क्वायड की शुरुआत की गई,वर्तमान में एंटी रोमियों स्क्वायड चर्चा के केंद्र में बना हुआ है,यूपी पुलिस द्वारा चलाये जा रहें इस अभियान की कहीं तारीफ़ तो कहीं आलोचना भी सुनने को मिल रही है,पुलिस जिसतरह से इस अभियान के लिए मनचलों को सबक सिखा रही है.उससे प्रदेश की महिलाओं में सुरक्षा को लेकर नया विश्वास पैदा हुआ है.यूपी पुलिस द्वारा चलाया जा रहे इस अभियान को आम लोगों ने तथा खासकर महिलाओं ने खूब सराहा है.यही कारण है कि महिलाओं कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से अन्य राज्य भी प्रभावित हुए हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यूपी के तर्ज पर एंटी रोमियों अभियान चलाने कि वकालत की है.जाहिर है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा सरकार तथा प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती रही है और सरकार इस चुनौती से निपटने में विफल साबित हुई है.नेशनल रिकार्ड क्राइम ब्यूरों के आकड़े बतातें हैं कि मध्यप्रदेश महिलाओं की सुरक्षा के मामले में फिसड्डी रहा है.आकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में 2014  और 2015 में क्रमशः 5076 और 9391 म

फतवा,हिंसा और ध्वस्त कानून व्यवस्था पर खामोश ममता तानाशाही की ओर अग्रसर !

    आज बंगाल तथा बंगाल की मुख्यमंत्री दोनों चर्चा के केंद्र में हैं.   बंगाल, रक्तरंजित राजनीति, साम्प्रदायिक हिंसा तथा शाही इमाम द्वारा जारी फतवे के लिए चर्चा में है . तो वहीँ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी विरोध के हट तथा भ्रष्ट नेताओं के बचाव के चलते लगातार सुर्ख़ियों में हैं. दरअसल, नोटबंदी का फैसला जैसे ही मोदी सरकार ने लिया तभी से ममता, मोदी पर पूरी तरह से बौखलाई हुई हैं. ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब ममता मोदी पर व्यर्थ में निशाना न साधे. खैर, अभी नोटबंदी के सदमे से ममता उभर पाती इससे पहले ही सीबीआई ने रोजवैली चिटफंड के करोड़ो के घोटाले में तृणमूल के दो सांसदों को गिरफ्तार कर लिया. जैसे ही यह गिरफ्तारी हुई ममता पूरी तरह तिलमिला उठीं तथा जरूरत से ज्यादा उग्र प्रतिक्रिया देते हुए इस गिरफ्तारी को राजनीतिक बदला करार दिया. लेकिन, हकीकत यह है कि यह पूरी जाँच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. बावजूद इसके सांसदों की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल के नेताओं ने जिस तरह उपद्रव मचा रखा है, वह अपनेआप में शर्मनाक कृत्य है. गिरफ्तारी के विरोध म

यह चुनाव साख और नाक बचाने की लड़ाई है !

सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए चुनाव आयोग ने बुधवार को पांच राज्यों  में होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है.यूपी,पंजाब ,गोवा,उत्तराखंड तथा मणिपुर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सभी राजनीतिक दलों में हलचल तेज़ हो गई है.इन राज्यों में चुनाव परिणाम भविष्य के गर्भ में है लेकिन, यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए वर्चस्व की लड़ाई है. चार फरवरी से शुरू होने जा रहा यह चुनावी दंगल आठ मार्च तक चलेगा तथा ग्यारह मार्च को सभी राज्यों के नतीजे एक साथ आयेंगे.चार फरवरी को गोवा –पंजाब से चुनाव की शुरुआत होगी.ग्यारह फरवरी से सात चरण में यूपी विधानसभा के चुनाव संपन्न होंगे.वहीँ मणिपुर में पहले चरण का मतदान चार मार्च को और दूसरे चरण का का मतदान आठ मार्च को समाप्त होंगे तथा उत्तराखंड में पन्द्रह फरवरी को वोटिंग होगी.इन सभी राज्यों के चुनाव परिणाम निश्चित तौर पर भविष्य की राजनीति की दिशा व दशा तय करने वाले होंगे.गौरतलब है कि यह चुनाव राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा.केंद्र में सत्तारूढ़ दल बीजेपी