परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह देशों में भारत को शामिल होने की उम्मीदों को करारा झटका लगा है. एनएसजी की सियोल बैठक में भारत को शामिल करने को लेकर चल रही जद्दोजहद में भारत को निराशा हाथ लगी है. भारत की आशाएं को धक्का लगा है जिसमें मुख्य किरदार पड़ोसी देश चीन ने निभाया है. 48 देशों के समूह में भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने को लेकर चली चर्चा में भारत के लिए सबसे बड़े विरोधी के रूप में चीन ने आवाज़ बुलंद की है.चीन के साथ –साथ ब्राजील,टर्की, आस्ट्रिया समेत दस देशों ने भारत के खिलाफ मतदान किया.चीन अपनी पूरी शक्ति लगाकर न केवल खुद भारत का विरोध किया बल्कि जिन देशों पर उसका वर्चस्व है उसका लाभ लेते हुए उनको भी भारत के खिलाफ लामबंध करने में सफलता अर्जित की. स्वीटजरलैंड जो पहले भारत के पक्ष में था अचानक वो भी भारत के विरोध में खड़ा दिखा .भारत को लेकर इन देशों का रवैया अब वैश्विक स्तर पर सबने देख लिया है.भारत, चीन से साथ रिश्तों को लेकर नरम रुख अख्तियार करता रहा है,चीन से साथ भारत की कूटनीति हमेसा से उदारवाद जैसे रही हैं.जिसमें छल-कपट के लिए कोई जगह नहीं होती हैं. लेकिन चीन इसके ठीक विपरीत व्यहवार
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