लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, सभी राजनीतिक दल अपने –अपने ढ़ंग से अपनी पार्टी का प्रचार कर जनता का समर्थन पाने की कवायद में जुटे हुए हैं. किन्तु इस महान लोकतांत्रिक देश में मतदाता अब सभी राजनीतिक दलों के प्रत्यासियों को अपनी अपेक्षाओं की कसौटी पर कसने लगे हैं. उनके मुद्दों ,कार्यों तथा विजन का अवलोकन करने लगे हैं, ऐसे में इस चुनाव की दिशा बदलना स्वभाविक है. 17वीं लोकसभा का चुनाव ऐसे चुनाव के रूप में दर्ज होगा जब राजनेता वादों की पोटली खोलेंगे तो जनता डिजिटल इंडिया के इस दौर में अपने फोन से उनके इतिहास के वायदों का हिसाब –किताब टटोलने और उनसे सवाल पूछने से पीछे नही हटेगी. गौरतलब है कि प्रत्येक चुनाव के अपने अलग मुद्दे होते हैं जिसके आधार पर चुनाव होता है.उन्हीं मुद्दों में प्रमुख रूप से गरीबी, बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा इत्यादि शामिल हैं. किन्तु अबकी इन मुद्दों से हटकर समूचा विपक्ष इस बात पर चुनाव लड़ रहा है कि जैसे भी हो मोदी को हटाना है. एक हैरत में डालने वाला यथार्त यह भी है कि नरेंद्र मोदी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष ने जनता के हित में एक भी लड़ाई नहीं लड़ी.
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