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Showing posts from September, 2018

गरीबों के लिए संजीवनी है आयुष्मान भारत

       उत्तम स्वास्थ्य मानव जीवन की सबसे प्रमुख जरूरतों में से एक है. किन्तु आज के दौर में व्यक्ति लगातार बीमारियों की गिरफ़्त में आता जा रहा है, तो दूसरी तरफ़ नई –नई बीमारियों का आने से खतरा और बढ़ जाता है. जिनके पास पैसा है, जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत है वह देश अथवा विदेश में जाकर इलाज करवा सकते हैं किन्तु गांव के अंतिम छोर पर खड़ा भयंकर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति कहाँ जाएगा ? जाएगा भी तो इलाज में लगने वाली मोटी रकम कहाँ से लाएगा ? यह ऐसे सवाल हैं जिसके जवाब के लिए गांव –गरीब ,मजदूर तथा वंचित वर्ग सरकार की तरफ़ मुंह कर के वर्षों से जवाब चाहता था. स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएँ देश के हर व्यक्ति के मिले यह सरकार का दायित्व बनता है. लेकिन उसकी गुणवत्ता को परखने की बजाय केवल खानापूर्ति से दायित्वों से मुक्त होने का समय अब जा चुका है. सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचें इस दिशा में देश अब आगे बढ़ा है. जिसका सबसे प्रत्यक्ष उदारहण डीबीटी के माध्यम से सीधा लाभार्थी के खाते में जाना वाला धन हो अथवा उज्ज्वला योजना से गरीबों के घर में जलने वाले चूल्हे हो या फिर जनधन के माध्यम से वंचितों

संवाद से भ्रांतियों को दूर करता संघ !

जब तमाम प्रकार की बातें किसी सामाजिक संगठन को लेकर फैलाई जा रहीं हो, तब ऐसी स्थिति में यह जरूरी जो जाता है कि वह संगठन अपना पक्ष तथा अपना विचार देश के समक्ष रखे. आरएसएस जैसे सांस्कृतिक संगठन के लिए तो यह और जरूरी हो जाता है. क्योंकि आज़ादी के पश्चात् ही संघ को लेकर तमाम प्रकार की भ्रांतियों और मिथकों को बड़े स्तर पर प्रसारित करने का काम किया है.किन्तु संघ अटल होकर अपने पथ से डगमगाए बगैर राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ निरंतर आगे बढ़ता गया और हर रोज़ अनूठे कार्यों से चर्चा भी हासिल करता जा रहा है. इसी क्रम में दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयं सवेक संघ ने तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमे संघ प्रमुख ने भविष्य का भारत और संघ का दृष्टिकोण पर तीनों दिन लगातार लगभग सभी चर्चित मुद्दों पर अपनी बात रखी तथा जो सवाल आए उसका जवाब भी दिया. इस आयोजन में हर विचारधारा से जुड़े लोगों को बुलाने की कोशिश संघ द्वारा की गई. ताकि संघ के विचार और दृष्टिकोण से सभी परिचित हो सकें. राजनीतिक दलों एवं देश के बड़े बौद्धिक वर्ग, कला, विज्ञान, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षत्रों से जुड़े प्रभावी

अमित शाह भाजपा के लिए जरूरी क्यों हैं ?

  भारतीय जनता पार्टी की दो दिनों तक चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कई ऐसी बातें सामने निकल कर आईं जो आगामी लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रहीं हैं.गौरतलब है कि यह बैठक 18 और 19 अगस्त को प्रस्तावित थी, किन्तु अटल जी के निधन के पश्चात् इसे टाल दिया गया था. दिल्ली के अम्बेडकर इन्टरनेशनल सेंटर में आठ तथा नौ सितम्बर को भाजपा की इस कार्यकारिणी को 2019 के लोकसभा चुनाव की जरूरी बैठकों में से प्रमुख माना जा रहा हैं. क्योंकि इस बैठक में बीजेपी ने आगामी चुनाव की रणनीति, नेतृत्व और प्रमुख मुद्दों का ब्लूप्रिंट प्रस्तुत किया है. इस बैठक में भाजपा ने वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और लोकसभा तथा तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को केंद्र में रखकर जमकर मंथन किया. इस मंथन का निचोड़ क्या निकला तथा आने वाले समय में इसका क्या असर होगा यह समझना जरूरी है. जाहिर है कि इस बैठक में भाजपा ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में ‘नए भारत’   के लक्ष्य को हासिल करने की बात 2022 तक की गई है. इस प्रस्ताव को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पेश किया. इस राजनीतिक प्रस्ताव में 2022