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Showing posts from August, 2016

अधिकारों की इस लड़ाई में आम जनता कहां?

  लोकतांत्रिक प्रणाली को सहज रूप से चलाने के लिए जरूरी है कि लोकतंत्र के सभी स्तंभ एक दुसरे से समंजस्य बना कर चलें. सभी स्तंभों के बेहतर तालमेल से ही एक स्वस्थ लोकतंत्र का वातावरण बना रहता है. किन्तु भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में पिछले कुछ महीनों से देश के चारों स्तंभ की स्थिति किसी से छुपी नहीं है.इनदिनों जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका में जो गतिरोध खुलकर सामने आ रहा है वो लोकतन्त्र के लिए किसी भी सूरतेहाल में सही नहीं है. सीधे तौर पर हम कहें तो न्यायपालिका और सरकार में अधिकारों की लड़ाई अब खुलकर लड़ी जा रही है. दरअसल जजों की नियुक्ति के लिए सरकार ने राष्ट्रीय न्यायायिक नियुक्ति आयोग विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पास कराया था. जिसमें सरकार ने दावा किया था कि एनजेएसी प्रकिया लागू होने के पश्चात जजों की न्युक्ति कॉलेजियम की अपेक्षा पारदर्शिता आएगी.लेकिन इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस आयोग के आने से न्यायपालिका में सरकार का दखल बढ़ जायेगा. वहीँ, जजों की नियुक्ति जिस कॉलेजियम प्रणाली के तहत हो रही थी उसे ही जारी रखा गया. गौर करें त

कश्मीर की उलझन

  कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में वाक् युद्ध चलता रहा है लेकिन अब मामला गंभीर हो गया है.भारत सरकार ने भी कश्मीर को साधने की नई नीति की घोषणा की जिससे पाक बौखला उठा है.यूँ तो पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज़ नहीं आता. जब भी उसे किसी वैश्विक मंच पर कुछ बोलने का अवसर मिलता है तो वह कश्मीर का राग अलापकर मानवाधिकारों की दुहाई देते हुए भारत को बेज़ा कटघरे में खड़ा करने का कुत्सित प्रयास करता है. परंतु अब स्थितयां बदल रहीं हैं,कश्मीर पर भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए गुलाम कश्मीर में पाक सेना द्वारा किये जा रहे जुर्म पर कड़ा रुख अख्तियार किया है. साथ ही गुलाम कश्मीर की सच्चाई सबके सामने लाने की बात कही है. गौरतलब है कि पहले संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर पर बात होगी लेकिन गुलाम कश्मीर पर, इसके बाद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक बात कही है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का अभिन्न हिस्सा है. जब हम जम्मू–कश्मीर की बात करते हैं तो राज्य के चारों भागों जम्मू ,कश्मीर ,लद्दाख और गुलाम कश्मीर की बात करते हैं. प्

देश की उर्जा आपूर्ति में होगा इजाफा

  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र की पहली यूनिट देश को समर्पित किया . गौरतलब है कि यह देश का सबसे बड़ा उर्जा संयंत्र है.1000 मेगावाट की क्षमता वाले इस परमाणु बिजली संयंत्र को दुनिया की सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्रो में से एक बताया गया है कुडनकुलम की पहली यूनिट भारतीय परमाणु उर्जा निगम और रूस के रोसाटॉम ने संयुक्त रूप से बनाया है.यूनिट एक और दो के निर्माण में 20,962 करोड़ रूपये का खर्च आया है.जिसका 85% का आर्थिक सहयोग रूस ने दिया है.इस परमाणु संयंत्र में  संवर्धित युरेनियम आधारित आधारित रुसी वीवीइआर टाइप के रियेक्टरों का इस्तेमाल किया गया है.इसकी दूसरी यूनिट इसी साल के अंत का शुरू होने की उम्मीद है. कुडनकुलम परियोजना का शुरू होना उर्जा के क्षेत्र में भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण था. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक साथ इस परियोजना को राष्ट्र के लिए लाभकारी बताया . गौरतलब है कि इस परियोजना के साथ एक लं