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Showing posts from February, 2016

आरक्षण पर व्यापक विमर्श की जरूरत

राजस्थान ,गुजरात  के बाद आरक्षण के जिन्न ने हरियाणा को अपनी जद में ले लिया है.हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय के लोग सड़को पर उतर आएं हैं.पिछले सात दिनों से जाटों का चल रहा आंदोलन शुक्रवार से हिंसक हो गया है.प्रदर्शनकारी जगह –जगह गाडियों को जला दे रहें है ,रेलवे की पटरियों को उखाड़ दे रहें है, हाइवे को जाम कर दिए है.जिससे आवागमन पूरी तरह से बाधित है.पांच सौ से अधिक ट्रेनों को रदद् कर दिया है,सैकड़ो ट्रेनों के रूट को  बदल दिया गया है.आठ जिलों में फैले इस आंदोलन में रोहतक और भिवानी के हालात सबसे ज्यादा खराब है.उग्र होते प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने रोहतक और भिवानी में इंटरनेट को भी बंद करा दिया है.हिंसा के मध्यनजर राज्य सरकार ने पहले कर्फ्यू लगाया,इसके बावजूद जब स्थिति नियंत्रण में नही दिखी तो देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए.इस आदेश का भी कोई प्रभाव प्रदर्शनकारियों पर होता नही दिख रहा है.स्थिति बेकाबू होती चली जा रही है,प्रदर्शनकारियों और पुलिस की भिंडत में अभी तक आठ लोग अपनी जान गवां चुके है.आंदोलन कितना व्यापक है इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बाहर से स

यात्री सुरक्षा पर ध्यान दे रेलवे

  जब भी सरकार रेल बजट पेश करती है , तो रेलवे के कायाकल्प बदलने तथा हर प्रकार की बुनियादी सुविधाओं में सुधार के नाम पर लंबे –चौड़े वादे करती  है,लेकिन हर बार की तरह सारे वादें कागजों तक सिमट कर रह जाते हैं.जमीनी स्तर पर रेलवे का कितना विकास होता है,ये बात जगजाहिर है,रेल मंत्री सुरेश प्रभु इसी सप्ताह वित्तीय वर्ष 2016-17 का रेल बजट प्रस्तुत करेंगे,बजट के द्वारा सरकार रेलवे की सुविधाओं को लेकर तमाम प्रकार की योजनाएं लाती है,परन्तु उसका ठीक ढंग से क्रियान्वयन करने की नीति सरकार के पास नही होती,जिसके कारण निर्धारित समयावधि में रेलवे की कोई योजनाएं पूरी नहीं  होती.हर बार बजट के माध्यम से रेल मंत्री जनता को आश्वस्त करते हैं कि ये बजट रेलवे को नई उचाईयों पर ले जायेगा,परन्तु स्थिति इसके विपरीत है,आज रेलवे कई समस्याओं से जूझ रहा है,मसलन रेलवे टिकट में बढ़ते भ्रष्टाचार,ट्रेन में मिलने वाले निम्न दर्जे के खाद्य पदार्थ,इसके अतिरिक्त सबसे बड़ी समस्या यात्री सुरक्षा की है.आएं दिन रेलवे में कई बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं.जिसमें हजारों के जान –माल के नुकसान की खबरें मिलती हैं ,मगर रेलवे सुरक्षा के मसले प

अमेरिका के आतंक विरोधी मंशा पर सवालिया निशान

   अमेरिका के आतंक विरोधी मंशा पर सवालिया निशान :_ जबसे मोदी सत्ता मे आएं है कई देशों से भारत के संबंध पहले की अपेक्षा बेहतर हुए है,जिसमे अमेरिका सबसे प्रमुख रहा है,कई ऐसे मसले आएं जहाँ अमेरिका भारत के साथ खड़ा दिखा तो भारत ने भी अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिला चलने का वादा किया.आतंकवाद ऐसा मुद्दा है जिसे मोदी वैश्विक स्तर पर उठाते रहें है.आतंकवाद ने हर देश को चोट पहुंचाई है.यही कारण है कि प्रधानमंत्री जब भी किसी देश में जातें है,आतंकवाद के मुद्दे को जोर –शोर से उठाते है,कई देशो ने मोदी के आतंकवाद खात्मे की इस पहल में न सिर्फ भारत का साथ दे रहें है बल्कि भारत की इस मुहीम हो सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहें है. ऐसे में अमेरिका का पाकिस्तान से एफ-16 विमान का सौदा करना अमेरिका के आतंक विरोधी मंशा पर सवालियां निशान लगाता है,बहरहाल आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जिसपर मौजूदा समय में विश्व के सभी देशो को एक मंच पर लाने को विवश कर दिया है,विश्व के अधिकतर देश आतंक की चपेट में है,हर देश में आतंकवाद का कारोबार बड़ी तेज़ी से फैल रहा है,जो सभी देशों के समक्ष बड़ी चुनौती है,खैर भारत और पाकिस

गिरफ्तारी का विरोध कर राष्ट्रद्रोह पर सहमती दे रहे वामपंथी !

     युवा किसी भी देश का भविष्य होता है,आने वाले समय में उसे देश की कमान संभलनी होती है.युवाओं में हर परिस्थितियों से निपटने का सामर्थ्य होता है,देश का कर्णधार होता है.परन्तु आज ये शब्द लिखते हुए वो उत्साह नहीं आ रहा,जो पहले आता था.समय के साथ इन सब शब्दों के मायने बदल गये हैं.किसी ने भी इस बात की परिकल्पना भी नहीं की होगी कि हमारे ही देश के शिक्षित युवा अपने ही देश के खिलाफ ऐसे जहर उगलेंगे जिसको सुनकर सीना ठिठुर जा रहा है.देश में जब भी कोई क्रांति हुई है.उसमे युवाओं की महती भूमिका रही है.लेकिन आज की परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है,ये वक्त विरोध का है का है.परन्तु विरोध पर नकारात्मकता हावी है ,विरोध पहले भी होता था,किंतु वो सकारात्मक विरोध सियासत की कुर्शी को उसकी शक्ति के एहसास कराने के लिए होता था.ये नकारात्मक विरोध विक्राल रूप धारण कर राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में खड़ा है.इसके जिम्मेदार कौन है? आज शिक्षण संस्थानों में नक्सली व अलगाववादी विचारधारा पाँव पसार रही है, जो राष्ट्र विरोधी कदम उठाने के लिए छात्रों को उकसा रही है.इसे पोषित करने वाले विश्वविद्यालयों में सबसे ऊपर जेएनयू खड़ा है.इसमें

चुनौतियों से पार पाना आसान नही

  सभी कयासों को विराम लागते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अमित शाह को दुबारा पार्टी अध्यक्ष चुना.बीते रविवार को अमित शाह दुबारा पार्टी अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुने गये. राजनाथ सिंह का कार्यकाल पूरा करने  के बाद उन्हें पहली बार पूर्ण कालिक अध्यक्ष बनाया गया है.अमित शाह भारतीय राजनीति में ऐसा नाम है, जिसकी छवि एक कद्दावर नेता के तौर पर होती है.विगत लोकसभा चुनाव में इनकी रणनीति और चुनाव प्रबंधन का सबने लोहा माना था.जिसके परिणामस्वरूप राजनाथ सिंह को अध्यक्ष पद से मुक्त कर शाह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था.लोकसभा चुनाव के बाद से महाराष्ट्र ,हरियाणा समेत कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपने विजय रथ को जारी रखा,गौरतलब है कि इन चुनावों में पार्टी अध्यक्ष से कहीं ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी,नतीजा पार्टी इन राज्यों में अपनी सरकार बनाने में सफल रही,लेकिन एक बात पर गौर करें तो जैसे ही मोदी का लहर में कमी आई,पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा.पहले दिल्ली में पार्टी को करारी शिकस्त मिली.उसके कुछ महीनों  बाद बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भी प