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Showing posts from 2016

‘वरदा’ चक्रवात को लेकर दिखी कुशल तैयारी

तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में चक्रवात वरदा के आने से जनजीवन पूरी तरह से अस्त –व्यस्त हो गया है.मौसम विभाग ने इस बात की पहले ही जानकारी दी थी कि वरदा नाम का तूफान सोमवार को तमिलनाडु में प्रवेश करेगा . मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार तैयारी भी पूरी कर ली गई थी. गौरतलब है कि चक्रवात वरदा सोमवार की दोपहर दो से चार बजे के बीच में चेन्नई के उतरी तट से टकराया. उस समय उसका वेग काफी ज्यादा था किन्तु धीरे –धीरे यह तूफान कमजोर पड़ता गया. बावजूद इसके अभी तक लगभग सात लोग काल के गाल में समा चुके हैं, घर तबाह हो गये हैं, बिजली काट दी गई है, पेड़ उखड़ गये हैं, बिजली के खम्भे धाराशाई हो गये हैं तथा रेल, सड़क व वायु यातायात अवरुद्ध हो गया है. तमिलनाडु में आठ हजार तथा आंध्रप्रदेश में नौ हजार से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में तूफान के अंदेशे के साथ ही पहुंचा दिया गया था. चेन्नई, तिरुवल्लुर, कांचीपुरम और विल्लीपुरम में वरदा का व्यापक असर देखने को मिला. मौसम विभाग ने इस तूफान की गति पहले 140 किलोमीटर प्रति घंटे से दर्ज की किन्तु कुछ देर बाद इसकी रफ्तार कम होती गई जो सौ किलोमीटर प्रति घंटा के आस –पास रही क

संसद की प्रतिष्ठा को धूमिल करते सियासतदान

संसद  के शीतकालीन सत्र समाप्त होने में चंद दिन शेष बचे हैं और यह पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है. नोटबंदी को लेकर विपक्षी दल लोकतंत्र के मंदिर मे जो अराजकता का माहौल बनाए हुए हैं वह शर्मनाक है. गौरतलब है कि नोटबंदी एक ऐसा फैसला है जिसका प्रभाव देश के हर व्यक्ति पर पड़ा है और आमजनता कतार में खड़ी है. उसे तमाम प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नोटबंदी के फैसले के बाद आमजनता के जहन में भी कई सवाल खड़े हुए हैं जिसके जवाब के लिए वह संसद की तरफ देख रही है. किन्तु हमारे द्वारा चुनकर भेजे गये प्रतिनिधि इन सवालों के जवाब तथा इस समस्या का हल निकालने की बजाय अपनी राजनीतिक शक्ति और झूठी प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ने में मशगूल हैं. ऐसे कठिन समय में और इतने गंभीर मुद्दे पर भी हमारे सियासतदान अपनी ओछी राजनीति से बाज़ नहीं आ रहे हैं. नोटबंदी के बाद जनता में अफरातफरी का जो महौल बना है उससे जनता को कैसे निकाला जाए, कैश को लेकर जो समस्याएँ आमजनता के समक्ष आ रही हैं, उस समस्या से निजात जनता को कैसे मिले? इसपर बात करने की बजाय हमारे राजनीतिक दल अपने अनुसार राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.

बैकफूट पर पाकिस्तान

अमृतसर में आयोजित 7वें  हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन कई मायने में अहम रहा अफगानिस्तान के पुनर्गठन,सुरक्षा व आर्थिक विकास के साथ –साथ  आतंकवाद तथा नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने जैसे गंभीर विषय चर्चा के केंद्र में रहे सम्मेलन के एजेंडे में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख था.जाहिर है कि जिस मंच पर पाकिस्तान के प्रतिनिधि मौजूद हों और बात आतंकवाद को उखाड़ फेकने की हो वहां पाक प्रतिनिधि का असहज होना स्वाभाविक है.भारत के प्रधानमंत्री और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने आतंकवाद के मसले को पाक को कटघरे में खड़ा किया तो वहीँ इस सम्मेलन में संयुक्त रूप से आतंकवाद के खिलाफ तैयार घोषणा पत्र में लश्करे-ए- तैयबा और जैश –ए –मोहम्मद समेत कई आतंकी संगठनों को रेखांकित किया गया है.यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता है जाहिर है कि ये आतंकी संगठन पाकिस्तान द्वारा पोषक हैं तथा पाकिस्तान इनके सहयोग से भारत के साथ –साथ अफगानिस्तान में अशांति और हिंसा के लिए इनका इस्तेमाल करता रहता है. एक बात जगजाहिर है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और उसका इस्तेमाल भारत ,अफगानिस्तान जैसे देश में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए करता है.भार

बैंक डिफाल्टरों पर सुप्रीमकोर्ट का रुख सही

         बैंक डिफाल्टरों का मुद्दा समय –समय संसद से सड़क तक चर्चा का विषय बना रहता है.चुकी बैंको पर एनपीए का बढ़ता दबाव देश की आर्थिक स्थिति को दीमक की तरह चाट रहा है बावजूद इसके हमारे बैंक खुद के पैसे वसूलने में असहाय दिख रहें है. सर्वोच्च न्यायालय भी इस विकराल समस्या पर अपनी नजर गढाये हुए है. न्यायपालिका लोन डिफाल्टर में मामले पर कई दफा सरकार आरबीआई समेत कई बैंको को आड़े हाथों लेता रहा है.वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि डिफाल्टरों के नाम खुलासा अब कोई बड़ा मसला नहीं रह गया है.जाहिर है कि सुप्रीमकोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई के दौरान आरबीआई और सरकार से पूछा था कि क्यों न 500 करोड़ के अधिक बैंक डिफाल्टरों के नाम सार्वजनिक कर दिए जाएँ.लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर और सख्ती दिखाते हुए सरकार और आरबीआई को इस मामले का निवारण ढूंढने को कहा है.कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि डिफाल्टरों से कर्ज वसूली के लिए क्या प्लान है ?माननीय कोर्ट से सरकार से यह भी पूछा है कि सरकार ने अभी तक इसके लिए क्या –क्या कदम उठायें हैं ? कोर्ट ने केंद्र सरकार ने तीन सप्ता

वर्चस्व की लड़ाई में सपा खो रही राजनीतिक जमीन

     उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे –जैसे करीब आ रहें है सियासत हर रोज़ नए करवट लेती नजर आ रही है.हर रोज़ ऐसी खबरें सामने आ रहीं हैं जो प्रदेश की सियासत में बड़ा उलट फेर करने का माद्दा रखतीं है.सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, चुकी यहाँ मामला जटिल इसलिए भी हो जाता है कि एक तरफ पार्टी में दरार तो आ ही रही है वहीँ दूसरी तरफ मुलायम परिवार में बिखराव भी हो रहा है.इन दोनों को बिखरने से रोकने में अभी तक पार्टी व परिवार मुखिया मुलायम सिंह भी सफल नहीं हुए हैं. गत जून माह से ही चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश में बीच शुरू हुई तल्खी लागतार बढती जा रही है. अगर गौर करें तो चुनाव में अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है सभी दल चुनावी बिसात बिछाने में लगें हुए ऐसे में सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी दो खेमे में बंटी हुई नजर आ रही  है.जिसकी बानगी हम कई बार पहले भी देख चुके हैं एक तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो दूसरी तरफ शिवपाल यादव खड़ें हैं.ताज़ा मामला पोस्टर वार को लेकर सामने आया है आगामी तीन नवम्बर को जहाँ अखिलेश यादव “ रथ यात्रा” शुरू करने जा रहें है.वहीँ पञ्च

स्वच्छता को लेकर लोगो में आई है जागरूकता

आगामी 2 अक्टूबर गाँधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “स्वच्छ भारत अभियान” अपने सफलता के दो वर्ष पूरा करने जा रहा है.जैसा कि हमें पता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जो अब तक अधुरा है इसे पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने इस योजना को शुरू किया.गौरतलब है की जबसे नरेंद्र मोदी सत्ता की कमान संभालें हैं.एक के बाद एक ऐसी योजनाओं का शुभारम्भ किया है,जो जनता से सीधे तौर पर सरोकार रखतीं हैं.उनमे से सबसे प्रमुख स्वच्छ भारत अभियान है.प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को गाँधी जयंती के अवसर पर इस योजना को आरंभ किया था.जाहिर है कि इस योजना को 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.योजना को आरम्भ करने से पहले 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के दिन जब प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और शौचालय की बात कहीं थी तो आलोचकों ने उनपर जमकर निशाना साधा की लाल किले के प्राचीर से किसी प्रधानमंत्री को शौचालय का जिक्र करना शोभा नही देता,किंतु आलोचना से परे मोदी ने इस अभियान को एक मिशन बनाने का संकल्प लिया और इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं. दरअसल स्व

निष्पक्ष चुनाव कराने की चुनौती

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे –जैसे करीब आता जा रहा है सभी राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग भी चुस्त होता जा रहा है.दरअसल,  देश के सबसे बड़े सूबे में चुनाव के दरमियान अनियमितताओं को लेकर भारी मात्रा में शिकायत सुनने को मिलती रहती है . जिसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने अभी से कमर कस ली है जिससे आने वाले विधानसभा चुनाव को सही ढंग से कराया जा सके. इसको ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग पूरी तरह से सक्रिय हो गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपनी पूरी टीम के साथ लखनऊ में पुलिस के आला अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. जिसमें चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया गया तथा आगे की रणनीति पर चर्चा हुई, चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि चुनाव से पहले सभी चिन्हित अपराधियों को जेल में डाला जाए इसके उपरांत ही भयमुक्त चुनाव कराए जा सकते हैं. इसके साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने पुलिस अधिकारियों को सख्त लहजे में कह दिया है कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी. इस तरह यूपी चुनाव में जैसे राजनीतिक दल अपनी–अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं, वैसे ही चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयारियों में तेज़ी ला

कैराना का स्याह सच आया सामने

लगभग साढ़े तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश के कैराना में हिन्दू समुदाय की पलायन की खबरें सामने आई थीं. यह पलायन चर्चा के केंद्र बिंदु में लंबे समय तक रहा किसी ने इस पलायन को सही बताया तो किसी ने इसे खारिज कर दिया, यहाँ तक की मीडिया के एक हिस्से ने भी पलायन की खबरों को नकार दिया था.जाहिर है कि उनदिनों कैराना में सब कुछ ठीक नहीं था,वहां के हिन्दूओं का जीना दूभर हो गया था, एक धर्म विशेष की उग्रता के कारण हिंदू परिवार पलायन कर रहे थे,प्रशासन मौन खड़े तमाशाबीन बनी हुई थी.स्थिति कितनी दयनीय थी इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लोग अपने घरों को बेच वहां से निकलना चाहते थे.सवाल यह उठता है कि इन सच पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों हुई ? उस समय जो सुबूत  हमारे सामने आये उससे ही स्पष्ट हो गया था कि पलायन की घटना कैराना का काला सच है जिसे स्वीकार करना ही होगा. गौरतलब है कि हिन्दूओं में दहशत का माहौल था, लोग किसी भी तरह कैराना को छोड़ना चाहते थे ,एक समुदाय विशेष द्वारा बनाएं गय भय से मुक्ति चाहते थे इसके लिए उनके पास पलायन के अलावा कोइ चारा नही था,मकानों को बेचने के पोस्टर अपनी जन्मभूमि से बिछड़न

पुलिस महकमे में सुधार की आस

      देश में समय – समय पर पुलिस की कार्य प्रणाली में सुधार की मांग उठती रही है. जाहिर है कि पुलिस महकमे में आज भी तमाम प्रकार की खामियां मौजूद हैं , पुलिस के ऊपर भ्रष्टाचार , दुरव्यवहार , एफआईआर न लिखने सहित कई आरोप आये दिन लगते रहते हैं. यही नहीं आरोप यह भी लगते रहे हैं कि पुलिस एफआईआर में छेड़छाड़ कर मुकदमे को कमजोर करने की कोशिश भी कई दफा करती है. ऐसे गंभीर मसले पर शीर्ष अदालत ने संज्ञान लेते हुए एक अहम आदेश जारी किया है. यूथ लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि देशभर के थानों में दर्ज एफआईआर को 24 घंटे के भीतर राज्य सरकार या पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किया जाये. न्यायाधीश दीपक मिश्रा और सी नगाप्प्न की बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश देश के सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए दिए हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिन स्थानों पर नेट्वर्किंग की सुविधा नहीं है या जिन दुर्गम इलाकों में इंटरनेट स्लो है वहां समयावधि 24 की बजाय 72 घंटे के अंदर प्राथमिकी को वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी होगा. वहीँ

अधिकारों की इस लड़ाई में आम जनता कहां?

  लोकतांत्रिक प्रणाली को सहज रूप से चलाने के लिए जरूरी है कि लोकतंत्र के सभी स्तंभ एक दुसरे से समंजस्य बना कर चलें. सभी स्तंभों के बेहतर तालमेल से ही एक स्वस्थ लोकतंत्र का वातावरण बना रहता है. किन्तु भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में पिछले कुछ महीनों से देश के चारों स्तंभ की स्थिति किसी से छुपी नहीं है.इनदिनों जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका में जो गतिरोध खुलकर सामने आ रहा है वो लोकतन्त्र के लिए किसी भी सूरतेहाल में सही नहीं है. सीधे तौर पर हम कहें तो न्यायपालिका और सरकार में अधिकारों की लड़ाई अब खुलकर लड़ी जा रही है. दरअसल जजों की नियुक्ति के लिए सरकार ने राष्ट्रीय न्यायायिक नियुक्ति आयोग विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पास कराया था. जिसमें सरकार ने दावा किया था कि एनजेएसी प्रकिया लागू होने के पश्चात जजों की न्युक्ति कॉलेजियम की अपेक्षा पारदर्शिता आएगी.लेकिन इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस आयोग के आने से न्यायपालिका में सरकार का दखल बढ़ जायेगा. वहीँ, जजों की नियुक्ति जिस कॉलेजियम प्रणाली के तहत हो रही थी उसे ही जारी रखा गया. गौर करें त

कश्मीर की उलझन

  कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में वाक् युद्ध चलता रहा है लेकिन अब मामला गंभीर हो गया है.भारत सरकार ने भी कश्मीर को साधने की नई नीति की घोषणा की जिससे पाक बौखला उठा है.यूँ तो पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज़ नहीं आता. जब भी उसे किसी वैश्विक मंच पर कुछ बोलने का अवसर मिलता है तो वह कश्मीर का राग अलापकर मानवाधिकारों की दुहाई देते हुए भारत को बेज़ा कटघरे में खड़ा करने का कुत्सित प्रयास करता है. परंतु अब स्थितयां बदल रहीं हैं,कश्मीर पर भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए गुलाम कश्मीर में पाक सेना द्वारा किये जा रहे जुर्म पर कड़ा रुख अख्तियार किया है. साथ ही गुलाम कश्मीर की सच्चाई सबके सामने लाने की बात कही है. गौरतलब है कि पहले संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर पर बात होगी लेकिन गुलाम कश्मीर पर, इसके बाद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक बात कही है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का अभिन्न हिस्सा है. जब हम जम्मू–कश्मीर की बात करते हैं तो राज्य के चारों भागों जम्मू ,कश्मीर ,लद्दाख और गुलाम कश्मीर की बात करते हैं. प्

देश की उर्जा आपूर्ति में होगा इजाफा

  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र की पहली यूनिट देश को समर्पित किया . गौरतलब है कि यह देश का सबसे बड़ा उर्जा संयंत्र है.1000 मेगावाट की क्षमता वाले इस परमाणु बिजली संयंत्र को दुनिया की सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्रो में से एक बताया गया है कुडनकुलम की पहली यूनिट भारतीय परमाणु उर्जा निगम और रूस के रोसाटॉम ने संयुक्त रूप से बनाया है.यूनिट एक और दो के निर्माण में 20,962 करोड़ रूपये का खर्च आया है.जिसका 85% का आर्थिक सहयोग रूस ने दिया है.इस परमाणु संयंत्र में  संवर्धित युरेनियम आधारित आधारित रुसी वीवीइआर टाइप के रियेक्टरों का इस्तेमाल किया गया है.इसकी दूसरी यूनिट इसी साल के अंत का शुरू होने की उम्मीद है. कुडनकुलम परियोजना का शुरू होना उर्जा के क्षेत्र में भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण था. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक साथ इस परियोजना को राष्ट्र के लिए लाभकारी बताया . गौरतलब है कि इस परियोजना के साथ एक लं