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प्रबंधन की कमी से हुआ हादसा

        

अभी कुछ ही दिन पहले की बात है जब सऊदी अरब के मक्का में क्रेन गिरने से हुए हादसें के दौरान 107 लोग काल के गाल में समा गयें थे. अभी ये जख्म भरा भी नहीं था कि फिर से गुरुवार को वहां से बुरी खबर  आई.बकरीद के साथ ही हज की अंतिम रस्म जिसमें मीना,मुज़दलफा और मैंदान-ए अराफात से लौटने के बाद जमेरात में शैतान को पत्थर मारनें की परंपरा है.उसी वक्त मीना के पास भगदड़ मचने के कारण 700 से अधिक लोग मौत की नींद सो गयें और लगभग 800 से अधिक लोग घायल हो गयें. इस घटना का कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नही हुआ है. लेकिन कुछ बातें निकल कर सामने आ रहीं है.मसलन जिस रास्तें से पत्थर मारने के लिए श्रद्धालु जातें है, उसके बाद दूसरे गेट से बाहर निकलतें हैं लेकिन यहाँ लोग उसी रास्तें से वापस भी आने लगें जिससे भीड़ अनियंत्रित हो गई. लोग एक दूसरे के ऊपर गिरने लगें और चंद मिनट में ही लाशों के ढेर बिछ गयें.इस हादसें ने सभी देशों के जनमानस को झकझोर कर रख दिया.सभी देश इस घटना के बारे में सुनकर अपने दुःख और पीड़ा को व्यक्त कियें बगैर नहीं रह पाएं.जिसको जब खबर मिली टीवी तथा रेडियो से चिपक गया.इस घटना ने कई देश को हिला के रख दिया,मक्का मुसलमान समुदाय का सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता हैं.यहाँ हर साल लगभग 15 से 20 लाख की संख्या में भिन्न –भिन्न देशों के श्रद्धालु आतें है.हादसा भलें ही सऊदी अरब के मीना में हुआ हो लेकिन भारत के उन सभी  घरों के लोग पूरी तरह से बेचैन हो उठें है. जिनके परिजन हज यात्रा के लिए मक्का गएँ हैं.भारत से लगभग 1 लाख 50 हजार श्रद्धालु हज करने गएं हैं .इन सभी परिवारों को अपनो के खोने का डर सता रहा है,अभी तक इस हादसें में भारत के विदेश मंत्रालय ने 22 भारतीयों की मौत की पुष्टि की है. ये संख्या और बढ़ने के अनुमान भी लगाएं जा रहें है.भारत सरकार ने इस घटना पर तुरंत सक्रियता दिखातें हुए हेल्पलाइन नंबर जारी किया, इसके साथ सरकार ने लोगो को ये विश्वास भी दिलाया की हम अपने नागरिकों को यथा संभव हर मदद के लिए प्रतिबद्ध है.बहरहाल,ये पहला मौका नहीं है जब मक्का में इस प्रकार की वीभत्स हादसा हुआ हो.इससे पहले 1990 के दौरान टनल में भगदड़ से 1426 लोगों की मौत हो गई थी.इस प्रकार वहां निरंतर तीन –चार  साल पर लगातार घटनाओं की एक लंबी फेहरिस्त है. जो सऊदी अरब सरकार पर कई सवाल खड़ें करती है.एक बात तो साफ है कि सऊदी अरब सरकार ने पिछली  घटनाओं से सबक नहीं लिया है.अगर सरकार ने कुछ भी सबक लेना उचित समझा होता तो इस प्रकार की दर्दनाक घटना से बचा जा सकता था.वहां की सरकार को इस बात पर भी गौर करना चाहियें की ये महज़ एक देश का मसला नही वरन एक अंतराष्ट्रीय मसला है.गौरतलब है कि यहाँ हर देश के मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी तादाद में आतें हैं,इसके मद्देनजर सउदी अरब सरकार को सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के साथ भीड़ नियंत्रण को लेकर ठोस योजना बनाने की जरूरत थी लेकिन इस मसले पर सरकार पूरी तरह विफल रहीं.ऐसा नहीं है की भारत में इस प्रकार की घटनाएँ नहीं होती लेकिन हमारें यहाँ सुरक्षा को लेकर व्यापक प्रबंध कियें जाते हैं.नतीजन हादसें नियमित नहीं होते, हम पिछली घटनाओं से कुछ न कुछ जरुर सिखतें है.अभी हालहि में झारखंड स्थित वैधनाथ धाम में भगदड़ हुई थी लेकिन हमारे प्रशासन से उससे निपटने के आपातकालीन व्यवस्था कारगर साबित हुई और हम बड़े हादसें से बच गयें,इस प्रकार सऊदी अरब सरकार ने भी आपातकालीन व्यवस्था पर जोर दिया होता तो आज वहां लाशों से ढेर नहीं बिछ्तें.हम भगदड़ के मुख्य कारणों की बात करें तो कई बातें सामने आती है प्रथम दृष्टया आयोजकों का प्रशासन के बीच भीड़ नियंत्रण  के कोई बड़ी योजना नही होती अगर होती भी है तो उसे अमल नहीं किया जाता तथा आयोजकों और प्रशासन में दरमियाँन बेहतर तालमेल नही होता है. जिसका खामियाजा वहां आएं लोगो को भुगतना पड़ता है.सही तालमेल के आभाव में  वहां भीड़ का आवागमन रूक जाता है,रास्ता जाम हो जाता है फलस्वरूप इस प्रकार के दुखद घटना हो जाती है.दूसरा सबसे बड़ा कारण यें है कि श्रद्धालु बहुत ज्यादा उतावलें हो जातें है और अपना आपा खों देतें है श्रद्धालुओं की इस लापरवाही को भी नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के दिशानिर्देशों पर गौर करें को प्रबंधन ने  भीड़ नियंत्रण के लिए कई बातों का व्यापक स्तर पर जिक्र किया है मसलन आपात निकासी निर्बाध हों लेकिन आपात स्थिति में काम आएं,पर्याप्त अग्निशामक की व्यवस्था हो तथा आपात स्थिति में चिकित्सा की सुविधाओं के पर्याप्त इंतजाम हों. इस तरह आपात प्रबंधन के सुझावों को भी ध्यान में रखकर प्रशासन काम करें तो किसी भी भगदड़ को रोकने में सहायक साबित होंगी .लोग पूण्य के लिए अपने तीर्थस्थान पर जातें है ताकि अपने पापों से मुक्त हो सकें लेकिन इस प्रकार के हादसों से लोगो के मन में खौफ पैदा हो जाता हैं.उनके आस्था पर चोट पहुँचती है.इस खौफ को दूर करने का जिम्मा प्रशासन और शासन का हैं.सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन नायेफ ने हादसें की जाँच के आदेश तो दे दिएँ है लेकिन  इस हादसें से राष्ट्रीय ही नहीं वरन अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सउदी अरब की साख पर जो बट्टा लगा है उसकी पूर्ति करना वहां की सरकार के लिए आसान नहीं हैं।


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