Skip to main content

पांचो राज्यों में बीजेपी की जीत होगी क्योंकि ...

    


चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बजा दिया है.असम,पश्चिम बंगाल,तमिलनाडु,केरल और केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी में होने जा रहे चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दलों में हलचल तेज़ हो गई है.सभी पार्टियाँ अपनी –अपनी सियासी बिसाद बिछाने को तैयार दिख रहीं हैं.दरअसल इस चुनाव में परिणाम चाहें जो आएं किंतु इस बात से नकारा नही जा सकता की ये चुनाव सभी दलों के लिए वर्चस्व की लड़ाई है.4 अप्रेल से शुरू हो रहा चुनावी समर 16 मई तक चलेगा. सभी राज्यों के परिणाम एक साथ 19 मई को आयेंगे.गौरतलब है कि केंन्द्र में सत्तारूढ़ दल बीजेपी के पास इस चुनाव खोने के लिए कुछ नही है,अगर बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करती है तो,ये बीजेपी के लिए बोनस होगा.वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस तथा वामदलों की सियासत दाव पर रहेगी.वामदलों को अपने सिकुड़ते जनाधार को बढ़ाने की बड़ी चुनौती होगी तो वहीँ कांग्रेस के लिए ये चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नही होगा. केरल तथा असम दोनों जगह कांग्रेस पार्टी सत्ता में है.कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद कठिन होनें जा रहा क्योंकि दोनों जगहो पर कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नही दिखाई दे रही है.पश्चिम बंगाल में ममता बेनर्जी सत्ता में बने रहना लगभग तय दिख रहा क्योंकि वामदलों को वहां की जनता सिरे से खारिज कर चुकीं है,लेफ्ट को बंगाल में वापसी की राह आसान नही होगी,अगर वामदल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़तें है, हालांकि इसकी संभावना कम नजर आ रही क्योंकि केरल में दोनों आमने –सामने हैं,परन्तु भारतीय राजनीति में इस बात से मुंह नही मोड़ा जा सकता की सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दल अपनी सुविधानुसार गठबंधन कर लेते हैं,बिहार चुनाव इसका ताजातरीन उदाहरण हैं,जहाँ दो राजनीतिक ध्रुव सत्ता के लिए एक होकर चुनाव लड़ें और जीतें भी हैं.बहरहाल,इसके बावजूद सत्ता तक पहुंचना लेफ्ट के लिए दूर की कौड़ी है,पश्चिम बंगाल के पिछले चुनाव के समीकरणों को समझे तो,कुल 294 विधानसभा सीटें है,जिसमें 184 सीटें ममता की अगुवाई वाले तृणमूल कांग्रेस के कब्जे में हैं,वामदलों के पास 62 सीटें तो वहीँ कांग्रेस के पास महज 42 सीटें मिली थी,इस चुनाव में भी हवा ममता के पक्ष में है,अगर वामदल और कांग्रेस एक साथ भी चुनाव लड़तें हैं तो ममता को सत्ता से बाहर करना आसान नही होगा.बीजेपी अगर बंगाल में अपना खाता भी खोल लेती है तो उसके लिए यही बड़ी बात होगी.केरल में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है,यहाँ की परिपाटी रही है कि हर चुनाव में सत्ता बदलती है,इस आधार पर हम कह सकतें है कि वामदलों की फिर से वापसी हो सकती है,यहाँ भी कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ सकता है,इस पराजय से सीधा सवाल कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी की राजनीतिक क्षमता पर उठेने तय हैं. खैर ,तमिलनाडु  में जयललिता अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएँगी तो वही करुणानिधि कांग्रेस के साथ मिलकर इस बार सत्ता में वापसी के ताल ठोंक रहें है,देखना दिलचस्प होगा कि जयललिता अपनी सरकार बचा लेती है अथवा करुणानिधि की वापसी होगी.पुडुचेरी की राजनीति से दोनों राष्ट्रीय दलों का कोई खास लगाव नही रहा है.बहरहाल,असम को छोड़ बीजेपी की सियासत किसी भी राज्य में दावं पर नही होगी.पहले दिल्ली तथा उसके बाद बिहार में मिली बीजेपी की करारी शिकस्त को विरोधियों ने केंद्र सरकार की विफलता के रूप में प्रसारित किया,विपक्ष संसद से सड़क तक मोदी के खिलाफ माहौल बनाने में सफल रहा.अब बीजेपी के सामने चुनौती है कि इन राज्यों में विगत चुनाव की अपेक्षा बढिया प्रदर्शन करे ताकि सरकार की साख पर सवाल उठाने का मौका फिर से विरोधियों को न मिले,इन सब के बीच महत्वपूर्ण बात ये है कि इन सभी राज्यों में से खासकर असम व केरल में कांग्रेस सत्ता में है.असम में माहौल मुख्यमंत्री तरुण गंगोई के खिलाफ है,स्पष्ट है कि कांग्रेस की सियासी जमीन असम में खिसक रही हैं.जिसका फायदा बीजेपी को मिलना तय है.अगर असम में बीजेपी सत्ता पर काबिज़ होती है तो ये बीजेपी के लिए दो राज्यों में मिली हार का डैमेज कंट्रोल होगा तथा इस जीत असर भी दूरगामी होगा.इसमें कोई दोराय नही है कि पांचो राज्यों में बीजेपी अपनी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतरेगी.जाहिर है कि इस चुनाव को 2017 में होनें वाले यूपी तथा पंजाब चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है.इन सब के बीच बीजेपी को चाहिए कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को आगे करने की बजाय पार्टी खुद अपने दम पर ये चुनाव लड़े.  
  

Comments

Popular posts from this blog

काश यादें भी भूकंप के मलबे. में दब जातीं ..

    एक दिन बैठा था अपनी तन्हाइयों के साथ खुद से बातें कर रहा था. चारों तरफ शोर –शराबा था, लोग भूकम्प की बातें करते हुए निकल रहें थे साथ ही सभी अपने–अपने तरीके से इससे  हुए नुकसान का आंकलन भी कर रहें थे.  मै चुप बैठा सभी को सुन रहा था. फिर अचानक उसकी यादों ने दस्तक दी और आँखे भर आयीं. आख  से निकले हुए अश्क मेरे गालों को चूमते  हुए मिट्टी में घुल–मिल जा रहें थे मानों ये आसूं उन ओश की बूंदों की तरह हो जो किसी पत्ते को चूमते हुए मिट्टी को गलें लगाकर अपना आस्तित्व मिटा देती हैं. उसी  प्रकार मेरे आंशु भी मिट्टी में अपने वजूद को खत्म कर रहें थे. दरअसल उसकी याद अक्सर मुझे हँसा भी जाती है और रुला भी जाती है. दिल में एक ऐसा भाव जगा जाती है जिससे मै खुद ही अपने बस में नहीं रह पाता, पूरी तरह बेचैन हो उठता. जैसे उनदिनों जब वो  मुझसे मिलने आती तो अक्सर लेट हो जाती,मेरे फोन का भी जबाब नहीं देती, ठीक इसी प्रकार की बेचैनी मेरे अंदर उमड़ जाती थी. परन्तु तब के बेचैनी और अब के बेचैनी में  एक बड़ा फर्क है, तब देर से ही सही  आतें ही उसके होंठों से पहला शब्द स...

पठानकोट हमला पाक का रिटर्न गिफ्ट

       दोस्ती के लायक नही पाकिस्तान आदर्श तिवारी -   जिसका अनुमान पहले से लगाया जा रहा था वही हुआ.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाहौर यात्रा के ठीक एक सप्ताह बाद पाकिस्तान का फिर नापाक चेहरा हमारे समाने आया है.भारत बार –बार पाकिस्तान से रिश्तों में मिठास लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है.लेकिन कहावत है ताली दोनों हाथो से बजती है एक हाथ से नही.पाकिस्तान की तरफ से आये दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन ,गोली –बारी को नजरअंदाज करते हुए भारत पाकिस्तान से अच्छे संबध बनाने के लिए तमाम कोशिश कर रहा है.भारत की कोशिश यहीं तक नही रुकी हमने उन सभी पुराने जख्मों को भुला कर पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया लेकिन पाक परस्त आतंकियों ने आज हमे नये जख्म दिए है गौरतलब है कि एक तरफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख इस नये साल में पाक को आतंक मुक्त होने का दावा कर रहें है.वही पठानकोट में एयरफोर्स बेस हुए आतंकी हमले ने पाकिस्तान के आतंक विरोधी सभी दावों की पोल खोल दिया.ये पहली बार नही है जब पाकिस्तान की कथनी और करनी में अंतर देखने को मिला हो पाकिस्तान के नापाक मंसूबो की एक...

कश्मीर की उलझन

  कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में वाक् युद्ध चलता रहा है लेकिन अब मामला गंभीर हो गया है.भारत सरकार ने भी कश्मीर को साधने की नई नीति की घोषणा की जिससे पाक बौखला उठा है.यूँ तो पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज़ नहीं आता. जब भी उसे किसी वैश्विक मंच पर कुछ बोलने का अवसर मिलता है तो वह कश्मीर का राग अलापकर मानवाधिकारों की दुहाई देते हुए भारत को बेज़ा कटघरे में खड़ा करने का कुत्सित प्रयास करता है. परंतु अब स्थितयां बदल रहीं हैं,कश्मीर पर भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए गुलाम कश्मीर में पाक सेना द्वारा किये जा रहे जुर्म पर कड़ा रुख अख्तियार किया है. साथ ही गुलाम कश्मीर की सच्चाई सबके सामने लाने की बात कही है. गौरतलब है कि पहले संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर पर बात होगी लेकिन गुलाम कश्मीर पर, इसके बाद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक बात कही है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का अभिन्न हिस्सा है. जब हम जम्मू–कश्मीर की बात करते हैं तो राज्य के चारों भागों जम्मू ,कश्मीर ,लद्दाख और गुलाम कश्मीर की बात करते हैं...