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कॉल ड्राप पर दीर्घकालिक उपाय जरूरी

   

कॉल ड्राप को लेकर मुआवजे की आस लगाएं उपभोक्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है.बुधवार को कॉल ड्राप मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने  टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के उस फैसले को गैरसंवैधानिक करार दिया जिसमें ट्राई ने कॉल ड्राप होने पर ग्राहकों को मुआवजा देने की बात कहीं थी.माननीय कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि कॉल ड्रॉप के लिए टेलिकॉम कंपनियों द्वारा ग्राहकों को क्षतिपूर्ति करने वाला ट्राई का आदेश अनुचित और गैर-पारदर्शी हैं.कोर्ट के इस फैसले के बाद टेलिकॉम कंपनियों ने राहत की साँस ली हैं,इस मामले में ट्राई  ने दलील देते हुए कहा कि मोबाईल कंपनियों को उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है.करोड़ो उपभोक्ताओं के देश में चार –पांच कंपनियों ने कब्जा कर रखा है जो कार्टेल की तरह काम कर रहीं हैं.कई बार ये तथ्य भी सामने आयें है कि बड़ी कंपनियां जान –बुझ कर कॉल ड्राप कर देतीं हैं जिससे उनको लाखों –करोड़ो का लाभ होता हैं.इनका रोज़ाना 250 करोड़ का राजस्व है लेकिन निवेश नाम मात्र का है,ट्राई के इस मसले पर कोर्ट को ये भी बताया कि फिलहाल उपभोक्ताओं को कंपनियां कॉल ड्राप होने की स्थिति में मुआवज़ा दे अगर इससे कंपनियों को ज्यादा नुकसान होता है तो ट्राई छह माह के बाद हर्जाने की समीक्षा करेगी.ट्राई के इन सब दलीलों सिरे से खारिज़ करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला कंपनियों के हीत में सुनाया.बहरहाल,ट्राई शुरू से ही कॉल ड्राप की बढती समस्या को लेकर चिंतित रहा हैं सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर भी ट्राई टेलीकॉम कंपनियों को आड़े हाथो लेता रहा है.गौरतलब है कि कॉल ड्राप होने से नुकसान उपभोक्ता का होता हैं,बात करते समय अचानक से कॉल ड्राप होने से टेलीकॉम कंपनिया पुरे मिनट का पैसा मनमाने ढंग से ग्राहकों से ऐंठ लेती हैं,जिससे ग्राहकों का समय के साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता हैं. इसी के मद्देनजर ट्राई ने कंपनियों को एक दिन में अधिकतम तीन रूपये और एक कॉल ड्राप होने पर एक रूपये ग्राहकों को वापस करने का फैसला सुनाया था लेकिन कंपनियों के दलील के आगे ट्राई का यह फैसला कोर्ट के सामने धराशायी हो गया.कोर्ट के सामने कंपनियों ने भारी नुकसान का हवाला देते हुए ट्राई के आदेश को मनमाना तथा गैरकानूनी बताते हुए रद्द करने की मांग की जिसे कोर्ट ने बड़ी सहजता से स्वीकार भी कर लिया.इन सब के बीच मुख्य मुद्दा कॉल ड्राप रोकने का गौण हो चला हैं.अगर हम ट्राई और कंपनियों के दलीलों का मुल्यांकन करें तो एक बात को साफ तौर पर जाहिर होता है कि ट्राई बदले की भावना से काम कर रहा था,ट्राई के पास सिमित अधिकार हैं लेकिन कई दफा ट्राई ने अपने अधिकार सीमाओं का उलंघन किया.जिससे उसका पक्ष कोर्ट में कमजोर हो गया.खैर,सवाल ये उठता है कि फिर ग्राहकों को कॉल ड्राप से मुक्ति कैसे मिले ? सवाल की तह में जाएँ तो कॉल ड्राप आज एक बड़ी समस्या के रूप में खड़ा है,संचार क्षेत्र में विकास तो दिनों दिन हो रहा लेकिन सेवाओं की गुणवत्ता चरमराती जा रही हैं.मोबाईल ग्राहकों की संख्या में पहले अपेक्षा बहुत बढोत्तरी हुई हैं,किंतु मोबाईल टावरों की संख्या कम होने की वजह से कॉल ड्राप की समस्या का जन्म हुआ हैं,इसके अलावा तकनीकी कारण भी हैं जससे नेटवर्क की समस्या बनी रहती हैं,इसके निवारण के लिए अभी तक ट्राई ने भी कोई दीर्घकालिक उपाय नहीं सुझाएँ हैं.एकबारगी ये मान भी लिया जाए कि कंपनियां उपभोक्ताओं को कॉल ड्राप होने पर मुआवजा देने को तैयार हो जाएँ तो क्या इससे कॉल ड्राप की समस्या खत्म हो जाएगी ?जाहिर है कि मुआवजा का कॉल ड्राप का कोई सरोकार नहीं हैं,उपभोक्ताओं को उसके आर्थिक नुकसान की भरपाई करा देने भर से उसकी समस्या हल नही होता वरन समस्या के मूल जड़ तक पहुँच कर उसका हल निकालना होता हैं, ट्राई का यह आदेश  एक प्रतीकात्मक आदेश था जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया, उपभोक्ताओं को उनके पैसे भले मिल जाते लेकिन कॉल ड्राप की समस्या जस की तस बनीं रहती.ट्राई का यह फैसला निश्चित तौर पर मनमाने ढंग से लिया गया था.अगर ट्राई कॉल ड्राप की समस्या के निवारण के लिए वाकई प्रतिबद्ध हैं तो उसे सभी कंपनियों को ऐसे निर्देश देने चाहिए जिसमें नेटवर्किंग का विस्तार हो,लोगों तक सभी कंपनियों के नेटवर्क आसानी से उपलब्ध हो सकें,आज एक आम ग्राहक से लेकर प्रधानमंत्री तक को अमूमन बात करतें समय नेटवर्क की दिक्कत आने से काल ड्राप की समस्या से गुजरना पड़ता हैं . कोर्ट का ये फैसला भले ही कंपनियों के पक्ष में हो लेकिन टेलीकॉम कम्पनियों को ये नही भूलना चाहिए कि उनका मुख्य दायित्व ग्राहकों को अच्छी सेवा देना हैं,लेकिन वर्तमन समय में मोबाईल कंपनियां में अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रहीं,जिससे कॉल ड्राप जैसे गंभीर समस्या का जन्म हुआ हैं,जो सीधे तौर पर आम जनता को परेशानी में डाल रखा हैं.अत; इन सब बातों को ध्यान के रखते हुए ट्राई को उपभोक्ताओं को फौरी राहत देने की बजाय कॉल ड्राप की समस्या का दीर्घकालिक उपाय बानने की जरूरत हैं जिसमें टेलीकॉम कंपनियों को भी किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े और उपभोक्ताओं को भी कॉल ड्राप से मुक्ति मिल सकें.

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