अमेरिका के आतंक विरोधी मंशा पर सवालिया निशान :_
जबसे मोदी सत्ता मे आएं है कई देशों से भारत के संबंध पहले की अपेक्षा
बेहतर हुए है,जिसमे अमेरिका सबसे प्रमुख रहा है,कई ऐसे मसले आएं जहाँ अमेरिका भारत
के साथ खड़ा दिखा तो भारत ने भी अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिला चलने का वादा
किया.आतंकवाद ऐसा मुद्दा है जिसे मोदी वैश्विक स्तर पर उठाते रहें है.आतंकवाद ने
हर देश को चोट पहुंचाई है.यही कारण है कि प्रधानमंत्री जब भी किसी देश में जातें
है,आतंकवाद के मुद्दे को जोर –शोर से उठाते है,कई देशो ने मोदी के आतंकवाद खात्मे की
इस पहल में न सिर्फ भारत का साथ दे रहें है बल्कि भारत की इस मुहीम हो सफल बनाने
के लिए हर संभव प्रयास कर रहें है. ऐसे में अमेरिका का
पाकिस्तान से एफ-16 विमान का सौदा करना अमेरिका के आतंक विरोधी मंशा पर सवालियां
निशान लगाता है,बहरहाल आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जिसपर मौजूदा समय में विश्व के
सभी देशो को एक मंच पर लाने को विवश कर दिया है,विश्व के अधिकतर देश आतंक की चपेट
में है,हर देश में आतंकवाद का कारोबार बड़ी तेज़ी से फैल रहा है,जो सभी देशों के
समक्ष बड़ी चुनौती है,खैर भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ता क्या है ये बात जगजाहिर
है,जब भी भारत में आतंकी हमला होता उसके पाक परस्त आतंकवादियों की संलिप्तता होती
है.इस बात को अमेरिका भी जानता है कि पाकिस्तान कैसे अपने देश में आतंकियों को
पोषित कर रहा है.जो विश्व में आतंकवाद को
बढ़ावा दे रहें है.हालहि में पाक परस्त आतंकवादियो ने पठानकोट के एयरबेस पर हमला किया,इस बात का
पर्याप्त सुबूत भी भारत के पास है.जिसे भारत ने दुनिया के सामने रखा.इसके उपरांत
पाकिस्तान का रवैया सभी ने देखा ,अमेरिका ने भी पठानकोट हमले पर सुबूत के आधार पर
कार्यवाही करने के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई थी,परन्तु पाकिस्तान ने इससे भी
पल्ला झाड़ लिया.बहरहाल,अमेरिका पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने जा रहा
है,अमेरिका के इस फैसले का भारत ने विरोध किया है मगर भारत के इस विरोध को दरकिनार
करते हुए अमेरिका अपने फैसले पर अडिग है.एफ -16 विमान का इस्तेमाल पाकिस्तान किस
रूप में करेगा,ये बात तो भविष्य के गर्भ में छिपा है.परन्तु पाकिस्तान अगर ये कहे कि हमने ये विमान सौदा आतंकवाद के
मुकाबले तथा अपने सुरक्षा के लिए किया है ,तो हमे इस बयान के निहितार्थ को समझने
की जरूरत है.कई ऐसे मौके आएं है जहाँ पाकिस्तान भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाता है
कि भारत पाक की सीमाओं का उल्लंघन करता है.बल्कि हकीकत ये है कि पाकिस्तानी सेना
तथा पाकिस्तान के आतंकी भारत की सीमाओं में आये दिन घुसपैठ करते है.अमेरिका भी इस
बात को बखूबी जनता है.ये बात भी जगजाहिर है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए सबसे
सुरक्षित देश है,आतंक के मसले पर पाकिस्तान कई बार बेनकाब हुआ है फिर भी अमेरिका
इस सौदे पर मंजूरी दे रहा है.इससे एक बात तो स्पष्ट है कि आतंकवाद के विरूद्ध इस
लड़ाई में अमेरिका दोहरा मापदंड अपना रहा है..पाकिस्तान की बढ़ती शक्ति न केवल भारत
के लिए बल्कि विश्व के लिए भी खतरा है.ये पहली दफा नही है जब अमेरिका पाकिस्तान पर
स्नेह लुटाया हो,अमेरिका 1950 से ही पाक को सह देता आया है.अमेरिका की नीति पाकिस्तान
से न केवल सामरिक रिश्तों को तरजीह देना रहा है बल्कि समय –समय पर पाक का सहयोगी
भी बनता रहा है.अमेरिका पाकिस्तान को सैन्य दृष्टि से मजबूत करने का प्रयास हो या
कश्मीर जैसे संवेदनशील मसले पर परोक्ष रूप से पाक को समर्थन ,इन सब तथ्यों से
स्पष्ट होता है कि अमेरिका भविष्य में भी पाकिस्तान के साथ ही खड़ा रहेगा.ऐसे में
वक्त की मांग यही है कि भारत अपने आप को सामरिक दृष्टि से और मजबूत करे.एक सच ये
भी है कि अमेरिका जब –जब पाकिस्तान को हथियार दिया है.पाकिस्तान ने उसका इस्तेमाल
भारत के खिलाफ ही किया है.यही मुख्य वजह है जिससे भारत इस रक्षा सौदे का विरोध कर
रहा है.सवाल उठता है कि क्या ये रक्षा सौदा भारत के लिए घातक है? इस सवाल की पृष्ठभूमि
को समझने के साथ –साथ हमें एफ-16 की
शक्तियों को भी जानना होगा.एफ-16 भारत के लिए कोई बड़ा खतरा नही है.क्योंकि ये
विमान दशकों पुरानी तकनीक पर आधारित है,जो आज के अन्य विमानों की अपेक्षा शक्तिहीन
है.हमारे पास इससे ज्यादा शक्तिशाली लड़ाकू विमान सुखोई पहले से मौजूद है.जो पलक
झपकते ही दुश्मनों को परास्त करने की क्षमता रखता है.इस सौदे से भारत पर कोई बड़ा
असर नही पड़ेगा,हमारी सेना पाकिस्तान की अपेक्षा काफी शक्तिशाली है.हमारी फौज हर
दृष्टि से पाकिस्तान से मुकाबला करने में सक्षम है.परन्तु इस सौदे में अमेरिका की
भारत विरोधी नीति निश्चय ही चिंताजनक है,विश्व के समक्ष भारत शक्तिशाली राष्ट्र के
रूप में उभर रहा है,ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान को ढाल बनाकर भारत को कमजोर करने की
साजिस कर रहा है,जिसे भारत को समझने की जरूरत है.क्योंकि पाकिस्तान हमेसा से भारत
विरोधी रहा है,और अमेरिका उसे मजबूत करने के प्रयास कर रहा है.ऐसे में सरकार को
अमेरिका के प्रति अपनी रणनीति बदलनी होगी, सोचना होगा कि जब अमेरिका हमारे
विरोधियों को मजबूत करने का प्रयास कर रहा हो,तो उससे कैसे संबंध रखने है.
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