Skip to main content

राफेल पर अड़ियल वाली राजनीति



राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ जाने के बाद से ऐसा माना जा रहा था कि विपक्ष को अब अपनी गलती का एहसास हो जाएगा और वह इस भ्रम को फ़ैलाने के लिए माफ़ी भले न मांगे, लेकिन कम से कम अब राफेल घोटाले का भूत कांग्रेस मुखिया के सर से जरूर उतर जाएगा। किन्तु ऐसा तब संभव  होता जब विपक्ष राफेल पर तथ्यों के तहत बात कर रहा होता। एकएक कर जिस ढ़ंग से इस मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा निर्मित रेत की दिवार गिरती गई है, देश के सामने यह रहस्य खुल चुका है कि राफेल मामले में राहुल गांधी के पास सिवाय झूठ के कुछ नहीं है।
सदन के अंदर अथवा सदन के बाहर कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल गैंग के एक भी पत्रकार, वकील अथवा नेता इस मामले में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं, जिसके आधार पर जेपीसी की जांच की संभवना को बल मिल सके। दुर्भाग्य ये भी है कि लोग जिन वरिष्ठ वकीलों और बुद्धिजीवी लेखक, पत्रकारों को पढ़ालिखा और बौद्धिक समझते थे, राफेल प्रकरण के पश्चात् देश की जनता के सामने उन लोगों का भी असल चेहरा उजागर हो गया है। साफ़ हो गया है कि यह गैंग हर उस धारणा को हवा की तरह फैलाने में लगा हुआ है, जिसमें दस जनपथ और बारह तुगलक़ लेन का हित छुपा हुआ है।
हालांकि ये कोई नई बात नहीं है, लेकिन जैसेजैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जाएगा, यह कबीला नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ़ झूठ का कारोबार और तेज़ी से फैलाता जाएगा, जिसका सबसे बड़ा उदारहण हमें राफेल प्रकरण पर देखने को मिल रहा है। गत बुधवार और शुक्रवार को संसद में राफेल पर तीखी बहस देखने को मिली जिसमें राहुल गाँधी पुनः राफेल पर पुरानी घिसीपिटी बातें करते हुए नजर आए और जेपीसी जांच की मांग को दोहराई।
राहुल गांधी के सभी पैतरें जब फेल हो गये, ऐसे में वह सदन के अंदर नया शिगूफा गोवा के एक मंत्री का कथित ऑडियो लेकर पहुँचे। कांग्रेस अध्यक्ष ने उस ऑडियो टेप का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने कैबिनेट बैठक में इस बात को कहा है कि उनके पास राफेल की फ़ाइलें हैं, जो उनके बेड रूम में हैं।
राहुल सदन में इस ऑडियो को चलाने की अनुमति मांगने लगे, लेकिन लोकसभा अध्यक्षा ने इसकी अनुमति नहीं प्रदान की। हंगामे के बीच जब सुमित्रा महाजन ने ऑडियो क्लिप की सत्यता को लेकर राहुल से लिखित पुष्टि मांगी तो राहुल ने अपने कदम पीछे कर लिए। सवाल उठता है कि राहुल को जब उस ऑडियो क्लिप पर इतना भरोसा था, तो उन्होंने लिखित तौर पर सदन में उसकी सत्यता की पुष्टि क्यों नहीं कीसवाल यह भी उठता है कि क्या राहुल सदन में फिर जानबूझकर झूठ बोलने की तैयारी में थे ?
उक्त ऑडियो को पर्रीकर ने भ्रामक तथ्यों को गढ़ने की एक हताश कोशिश बताया, तो वहीं मंत्री विश्वजीत राणे ने इस ऑडियो को अपने खिलाफ़ साजिश और फर्जी बताया तथा जाँच की मांग की। साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राफेल मुद्दे पर कांग्रेस को निरुत्तर तो किया ही साथ में आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताते हुए तथ्यों के साथ उसपर निशाना भी साधा। अरुण जेटली ने कांग्रेस को उसका इतिहास याद दिलाते हुए बोफ़ोर्स, अगस्ता के साथ नेशनल हेराल्ड का जिक्र करके कांग्रेस को असहज कर दिया। अभी कांग्रेस वित्त मंत्री के कड़े प्रहारों से सहज भी नहीं हुई थी तभी शुक्रवार को फिर सदन में रक्षा मंत्री ने राफेल मामले पर बिन्दुवार जवाब देते हुए राहुल के लगभग हर सवाल का जवाब दिया किन्तु कांग्रेस अध्यक्ष इस तेज़ी से चल रहे हैं कि एक सवाल का जवाब आया कि चार और सवाल तैयार कर लेते। जिससे यह संशय और स्पष्ट हो जाता कि कांग्रेस राफेल पर अँधेरे में तीर छोड़ने की सारी सीमाओं  को भी लांघ गई है। बहरहाल, लोकसभा में दिए अपने वक्तव्य में कई महत्वपूर्ण बातें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताई जिससे राफेल डील की प्रक्रिया और एचएएल पर लेकिन जो भ्रम देश में फैलाए जा रहे हैं वह दूर हो जायेगा। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राफेल मामले पर देश से झूठ बोलकर सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. रक्षा मंत्री ने एचएएल को लेकर भी तथ्यात्मक आकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने राहुल को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि राहुल गाँधी एचएएल पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. सरकार ने एचएएल को एक लाख करोड़ रुपए का तेजस एवं अन्य हेलीकाप्टर बनाने का काम दिया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया की एचएएल अब दोगुनी रफ्तार से काम कर रहा है। परन्तु विपक्ष के अड़ियल रवैये को देखकर यह साबित हो रहा है कि वह राफेल को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मुख्य हथियार बनाने की जिद्द ठान कर बैठा है। राफेल के सहारे देश में झूठ पर आधारित एक बहस पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके पीछे राहुल का प्रमुख उद्देश्य बेदाग़ ढंग से अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही मोदी सरकार को भ्रष्ट साबित करना है। वह किसी भी तरह से राफेल डील में घोटाला हुआ है, ऐसा माहौल बनाने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष इस बड़े भ्रम में हैं कि राफेल मुद्दे पर अनर्गल ढंग से मोदी सरकार को भ्रष्टाचारी कहना उन्हें 2019 की गद्दी दिला देगा।
वैसे कांग्रेस का इस तरह से राफेल विरोध उसकी मंशा पर गंभीर सवाल भी खड़े करता है। सवाल उठ रहा है कि दशकों तक इस डील को अटकाए रहने वाली कांग्रेस कहीं अब अपने अंधविरोध के जरिये इसे रद्द तो नहीं कराना चाहती? पिछले सत्र में जिस तरह से राहुल का झूठ संसद के अंदर पकड़ा गया और फ़्रांस सरकार ने राहुल की मनगढ़ंत बातों पर तीखी प्रतिक्रिया दी, तभी इस बात को मान लेना चाहिए था कि राफेल पर राहुल गाँधी के पास कोई ठोस आधार नहीं है बल्कि वह वायवीय धारणाओं के आधार पर मामले को खींचना चाहते हैं।



Comments

Popular posts from this blog

काश यादें भी भूकंप के मलबे. में दब जातीं ..

    एक दिन बैठा था अपनी तन्हाइयों के साथ खुद से बातें कर रहा था. चारों तरफ शोर –शराबा था, लोग भूकम्प की बातें करते हुए निकल रहें थे साथ ही सभी अपने–अपने तरीके से इससे  हुए नुकसान का आंकलन भी कर रहें थे.  मै चुप बैठा सभी को सुन रहा था. फिर अचानक उसकी यादों ने दस्तक दी और आँखे भर आयीं. आख  से निकले हुए अश्क मेरे गालों को चूमते  हुए मिट्टी में घुल–मिल जा रहें थे मानों ये आसूं उन ओश की बूंदों की तरह हो जो किसी पत्ते को चूमते हुए मिट्टी को गलें लगाकर अपना आस्तित्व मिटा देती हैं. उसी  प्रकार मेरे आंशु भी मिट्टी में अपने वजूद को खत्म कर रहें थे. दरअसल उसकी याद अक्सर मुझे हँसा भी जाती है और रुला भी जाती है. दिल में एक ऐसा भाव जगा जाती है जिससे मै खुद ही अपने बस में नहीं रह पाता, पूरी तरह बेचैन हो उठता. जैसे उनदिनों जब वो  मुझसे मिलने आती तो अक्सर लेट हो जाती,मेरे फोन का भी जबाब नहीं देती, ठीक इसी प्रकार की बेचैनी मेरे अंदर उमड़ जाती थी. परन्तु तब के बेचैनी और अब के बेचैनी में  एक बड़ा फर्क है, तब देर से ही सही  आतें ही उसके होंठों से पहला शब्द स...

डिजिटल इंडिया को लेकर सरकार गंभीर

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी महत्वकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए सिलिकाँन वैली में तकनीक क्षेत्र की सभी दिग्गज कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की . प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया के उद्दश्यों व लक्ष्यों के बारें इन सभी को बताया.तकनीक जगत सभी शीर्षस्थ कंपनियां मसलन गूगल,माइक्रोसॉफ्ट तथा एप्पल के सीईओ ने भारत सरकार की इस योजना का स्वागत करते हुए, भारत में निवेश को लेकर अपने –अपने प्लानों के दुनिया के सामने रखतें हुए भारत को भविष्य की महाशक्ति बताया है. इन सभी कंपनियों को बखूबी मालूम है कि भारत आज सभी क्षेत्रों  नए- नए आयाम गढ़ रहा है. इसको ध्यान में रखतें हुए गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने भारत के 500 रेलवे स्टेशनों को वाई -फाई से लैस करवाने के साथ 8 भारतीय भाषाओं में इंटरनेट की सुविधा देने की घोषणा की तो वहीँ माइक्रोसॉफ्ट ने भी भारत में जल्द ही पांच लाख गावों को कम लागत में ब्रोडबैंड तकनीकी पहुँचाने की बात कही है.इस प्रकार सभी कंपनियों के सीईओ ने भारत को डिजिटल बनाने के लिए हर संभव मदद के साथ इस अभियान के लिए प्रधानमंत्री मोदी से कंधा से कंधा ...

लोकतंत्र पर बड़ा आघात था आपातकाल

  लोकतंत्र में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को 25 जून की तारीख याद रखनी चाहिए. क्योंकि यह वह दिन है जब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को बंदी बना लिया गया था. आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय है , जिसके दाग से कांग्रेस कभी मुक्त नहीं हो सकती. इंदिरा गांधी ने समूचे देश को जेल खाने में तब्दील कर दिया था. लोकतंत्र के लिए उठाने वाली हर आवाज को निर्ममता से कुचल दिया जा रहा था, सरकारी तंत्र पूरी तरह राजा के इशारे पर काम कर रहा था. जब राजा शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ तो स्वभाविक है कि इंदिरा गांधी पूरी तरह लोकतंत्र को राजतंत्र के चाबुक से ही संचालित कर रही थीं. गौरतलब है कि इंदिरा गांधी किसी भी तरीके से सत्ता में बने रहना चाहती थी. इसके लिए वह कोई कीमत अदा करने को तैयार थी किन्तु इसके लिए लोकतांत्रिक मूल्यों पर इतना बड़ा आघात होने वाला है शायद इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी.   देश में इंदिरा गाँधी की नीतियों के खिलाफ भारी जनाक्रोश था और जयप्रकाश नारायण जनता की आवाज बन चुके थे. जैसे-जैसे आंदोलन बढ़ रहा था इंदिरा सरकार के उपर खतरे के बादल मंडराने लगे थे. हर रोज हो रहे प्रदर्...