पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम के बाद जो दृश्य देश के सामने आ रहे हैं वह हैरान करने वाले हैं. इस तरह की अराजकता, हिंसा और लोकतंत्र का उपहास शायद ही कभी देखने को मिला हो. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि पश्चिम बंगाल से रोंगटे खड़ी कर देनी वाली खबरें आएँगी. ममता का चुनाव में विजयी होना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए, किन्तु इसमें मुझे संशय नहीं है कि पश्चिम बंगाल में आने वाले दिनों में लोकतंत्र बलतंत्र में परिवर्तित हो जाएगा, आराजकता को अधिक बल मिलेगा, कटमनी मुख्य व्यापार होगा और तुष्टीकरण की सभी सीमाओं को लांघ दिया जाएगा. ममता संघीय ढांचे में विश्वास नहीं रखती हैं वह पहले ही विभाजन की बात कह चुकी हैं और अलग राजधानी की मांग कर चुकी हैं. नीति आयोग की बैठकों को छोड़ना उनके लिए आम बात है, कोरोना संकट में राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठकों में भी वह हिस्सा लेने से बचती आई हैं. सेना के रूटीन मार्च को वह तख्तापलट का संज्ञा दे चुकी हैं, भ्रष्टाचार के मामले में पुलिस कमिशनर के घर पड़े छापे के वि...
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