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‘एंटी रोमियो अभियान’ के अनुसरण की तैयारी में अन्य राज्य !


उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गठन उपरांत महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर एंटी रोमियों स्क्वायड की शुरुआत की गई,वर्तमान में एंटी रोमियों स्क्वायड चर्चा के केंद्र में बना हुआ है,यूपी पुलिस द्वारा चलाये जा रहें इस अभियान की कहीं तारीफ़ तो कहीं आलोचना भी सुनने को मिल रही है,पुलिस जिसतरह से इस अभियान के लिए मनचलों को सबक सिखा रही है.उससे प्रदेश की महिलाओं में सुरक्षा को लेकर नया विश्वास पैदा हुआ है.यूपी पुलिस द्वारा चलाया जा रहे इस अभियान को आम लोगों ने तथा खासकर महिलाओं ने खूब सराहा है.यही कारण है कि महिलाओं कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से अन्य राज्य भी प्रभावित हुए हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यूपी के तर्ज पर एंटी रोमियों अभियान चलाने कि वकालत की है.जाहिर है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा सरकार तथा प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती रही है और सरकार इस चुनौती से निपटने में विफल साबित हुई है.नेशनल रिकार्ड क्राइम ब्यूरों के आकड़े बतातें हैं कि मध्यप्रदेश महिलाओं की सुरक्षा के मामले में फिसड्डी रहा है.आकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में 2014  और 2015 में क्रमशः 5076 और 9391 मामलें बलात्कार और छेड़छाड़ के सामने आये. यहीं नही महिलाओं के बढ़ते अपराध कि सूचि में मध्यप्रदेश शीर्ष पर रहा है.यह आकड़े सरकार को तथा प्रशासन को शर्मशार करने वालें हैं.तमाम दावों कि बावजूद आज अन्य राज्यों की अपेक्षा मध्यप्रदेश में महिलाओं पर सबसे ज्यादा दुराचार हो रहा है,पुलिसिया तंत्र इसे रोकने में विफल साबित हुआ है.यह आकड़े सरकार की महिला सुरक्षा के दावों की भी पोल खोल रहें हैं.महिलाओं के सुरक्षा के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति बदतर रही है,इसमें कोई दोराय नहीं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने से लेकर महिला सशक्तिकरण के लिए लाडली लक्ष्मी योजना,लाडो योजना के साथ युवतियों को आत्मसुरक्षा के लिए सक्षम बनाने हेतु  शौर्या दल भी बनाएं किन्तु, बलात्कार और छेड़छाड़ जैसे अमानवीय कृत्य को रोकने में यह सब प्रयास थोथे दिखाई दे रहें हैं. महिलाओं पर बढ़ रहें अत्याचार व छेड़खानी का मामले ने शिवराज सरकार के साख पर बट्टा लगाने का काम किया है. खैर ,महिलाओं की  सुरक्षा व छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए मप्र प्रदेश सरकार ने बलात्कार करने वालें को फांसी की सज़ा देने का विधेयक भी आगामी मानसून सत्र में लाने की तैयारी कर रही है.इससे अब यह प्रतीत हो रहा है कि शिवराज सरकार भी अब मनचलों को सबक सिखाने का मूड बना चुकी है. सवाल यह उठता है कि इस तरह के कठोर फैसले मप्र सरकार ने पहले क्यों नहीं किया ? जाहिर है कि महिला सुरक्षा में मामले में जिस स्तर पर सरकार को सक्रिय होना चाहिए सरकार का रवैया अभीतक ढुलमुल रहा है,पुलिस प्रशासन की सुस्ती भी इसकी बड़ी वजह मानी जा सकती है किन्तु, प्रशासन अमला को चुस्त करने का दायित्व भी राज्य सरकार का होता है.अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वालें हैं इसके मद्देनजर महिलाओं कि स्र्रक्षा एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.ऐसे में सरकार का सक्रिय होना लाजमी है.दरअसल,यूपी में योगी सरकार ने जिसतरह से एंटी रोमियों स्क्वायड का गठन किया और प्रशासन उत्साह में आकर जो कार्यवाही कर रहा है, उसके भी कई पहलू हैं,इसका सबसे प्रमुख पहलू यह है कि स्कूल ,कॉलेज ,बाजार व भीड़भाड़ वाले इलाकों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की शिकायतें ज्यादें आती हैं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कुछ असामजिक तत्व महिलाओं को देखकर अनावश्यक टिप्पणी भी करतें हैं इन मनचलों को जिसतरह यूपी पुलिस ने एंटी रोमियों स्क्वायड अभियान के तहत सख्ती बरती है,उससे मनचलों में भय पैदा हुआ है और महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रहीं हैं,यही कारण है कि अन्य राज्यों की सरकारों को यूपी सरकार का यह प्रयास प्रभावित करने का काम किया है. इसका दूसरा पहलु को समझें तो यह बात निकल कर सामने आ रही है कि  महिलाओं के सुरक्षा के नाम पर कहीं आमजन को परेशान तो नहीं किया जा रहा है ? गौरतलब है कि यूपी से यह भी खबरें आई हैं कि पुलिस अतिउत्साह में आकर सगे भाइयो –बहनों पर भी कार्यवाही करने से बाज़ नहीं आ रही है.गौर करें तो अभी एंटी रोमियों स्क्वायड का गठन हुए दो पखवारें भी नहीं हुए ऐसे में यह इसकी सार्थकता का मूल्यांकन करना जल्दीबाज़ी होगी, मीडिया में आ रही खबरें व उसके सक्रियता पर भरोसा कर मध्यप्रदेश सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन करने का संकेत तो दिया है किन्तु, उसे यह भी भरोसा देना होगा कि पुलिस इसके लिए पूरी तैयारी के साथ काम करेगी इसमें आपसी सहमती से बात –चित कर रहें युवक –युवतियों को कोई दिक्कत न हो.यूपी पुलिस द्वरा चलाये जा रहे एंटी रिमोयों अभियान की जमीनी हकीकत यह भी है यह कि इससे महिलाओं में आत्मविश्वास आया हैं तथा उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर जो भय रहता था वो अब समाप्त हुआ है.अन्य राज्यों की पुलिस  भी अगर इस तरह के अभियान के जरिये मजनुओं को सबक सिखाकर महिलाओं में सुरक्षा का भाव पैदा करती है तो शासन तथा प्रशासन दोनों के लिए बड़ी उपलब्धी होगी.  

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